
देहरादून में पेयजल संकट गहराया: 1.70 लाख कनेक्शन बिना मीटर, पानी का भारी दुरुपयोग
देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी दून में भीषण गर्मी के बीच जहां एक ओर लोग पीने के पानी के लिए जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शहर में 1.70 लाख से अधिक पेयजल कनेक्शन बिना मीटर के चल रहे हैं। इससे न सिर्फ पानी का अंधाधुंध दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि जल संस्थान को हर दिन करीब 4.72 करोड़ लीटर पानी का कोई लेखा-जोखा ही नहीं मिल रहा है।
दावा कुछ, हकीकत कुछ और
जल संस्थान का दावा है कि वह शहर के 1.90 लाख घरों और प्रतिष्ठानों को प्रतिदिन 135 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी मुहैया करा रहा है। इसके तहत हर दिन लगभग 25.43 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति होती है। लेकिन इनमें से केवल 20.71 करोड़ लीटर का ही राजस्व भी मिलता है।
बाकी का पानी लीकेज, क्षतिग्रस्त पाइपलाइन और अनियंत्रित उपयोग के कारण बर्बाद ही हो रहा है।
मीटर नहीं, तो नियंत्रण नहीं
जल संस्थान की पांच शाखाओं में से केवल एफआईयू शाखा के 12,000 कनेक्शनों में मीटर लगे हैं। बाकी अधिकांश इलाकों में पानी बिना किसी निगरानी के इस्तेमाल हो रहा है — जिससे धुलाई, सिंचाई व बेजा इस्तेमाल को बढ़ावा मिल रहा है।
मीटर लगने से क्या होगा फायदा?
- उपभोक्ता सावधानी से पानी का उपयोग करेंगे।
- पानी की बर्बादी रुकेगी, ट्यूबवेल कम चलेंगे, बिजली बचेगी।
- कम पानी में ज्यादा लोगों को सप्लाई मिल सकेगी।
- जल संस्थान का राजस्व बढ़ेगा।
उदाहरण के तौर पर, मैनुअल कनेक्शन में दो महीने का औसत बिल ₹750 आता है, जबकि मीटर लगे कनेक्शन में 40,000 लीटर पानी पर केवल ₹430 का बिल बनता है। इससे आम उपभोक्ताओं को भी सीधा लाभ होता है।
मीटर लगाने की शुरुआत, लेकिन रफ्तार धीमी
हाल में जल संस्थान ने इंदिरानगर (पित्थूवाला शाखा) में 4,500 मीटर लगाने की प्रक्रिया भी शुरू की है। पलटन बाजार और खुड़बुड़ा (दक्षिण शाखा) में 3,000 मीटर लगाए जा चुके हैं लेकिन अभी चालू नहीं हुए हैं। रायपुर शाखा के वार्ड 68 में 2,500 घरों में मीटर लगाए जा रहे हैं। उत्तर शाखा में अब तक कोई मीटरिंग ही नहीं हुई है।
शहर में जल संस्थान की शाखाओं के आंकड़े:
शाखा | कुल कनेक्शन |
---|---|
दक्षिण | 51,404 |
उत्तर | 45,854 |
रायपुर | 45,578 |
पित्थूवाला | 35,381 |
एफआईयू | 12,039 |
जल संस्थान की पहल और चेतावनी
जल संस्थान के अधीक्षण अभियंता राजीव सैनी ने बताया कि सभी शाखाओं में मीटर लगाने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है। अभियंताओं को फील्ड में भेजकर न केवल पेयजल दुरुपयोग की निगरानी की जा रही है, बल्कि लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।
“जल्द ही सभी कनेक्शन मीटरयुक्त होंगे, जिससे पानी की बर्बादी पर लगाम लगेगी और शहर को बेहतर सप्लाई दी जा सकेगी।” – राजीव सैनी, अधीक्षण अभियंता, जल संस्थान