उत्तराखंड पंचायत चुनाव में दिग्गजों को बड़ा झटका — खुद हारे नेता, तो कहीं पत्नी-बेटे भी नहीं बचा सके साख, देखें पूरी लिस्ट

उत्तराखंड पंचायत चुनाव: दिग्गजों को झटका, विधायकों के रिश्तेदारों की करारी हार से बीजेपी में मंथन शुरू UTTARAKHAND PANCHAYAT ELECTIONS 2025 उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के नतीजों ने कई दिग्गज नेताओं की राजनीतिक पकड़ पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता ने न सिर्फ नए चेहरों को मौका दिया, बल्कि कई मौजूदा नेताओं और उनके परिजनों को करारी शिकस्त दी। कोई खुद चुनाव हारा, तो किसी की पत्नी या बेटा भी जनता के फैसले के आगे चित हो गया। देखें वो लिस्ट, जहां दिग्गजों को जनता ने दिखाया आईना — 🔴 विधायक दलीप रावत की पत्नी नीतू रावत चुनाव हारीं 🔴 सल्ट विधायक महेश जीना के बेटे को मिली हार 🔴 विधायक सरिता आर्या का बेटा भी न बचा सका सीट 🔴 अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष और उनकी पत्नी दोनों पराजित 🔴 पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी भी हारीं चुनाव 🔴 बीजेपी की निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया को निर्दलीय ने हराया इन नतीजों ने साफ कर दिया है कि पंचायत चुनावों में रिश्तेदारों और पदाधिकारियों की पहचान से ज्यादा जनता को जमीनी काम और छवि पसंद आई। चुनाव ने नेताओं को कड़ा संदेश दे दिया है — अब काम करो, वरना कुर्सी छोड़ो।

देहरादून। उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के नतीजों ने जहां कई नए चेहरे उभारे तो वहीं राजनीतिक दिग्गजों को तगड़ा झटका भी दिया है। भाजपा के 3 मौजूदा विधायकों के करीबी रिश्तेदार—पत्नी, बेटे—पंचायत चुनावों में जनता ने सिरे से नकार भी दिए। इन हारों ने पार्टी के भीतर भविष्य की रणनीति और टिकट वितरण को लेकर अब सवाल भी खड़े कर दिए हैं। आइए जानते हैं किस राजनीतिक दिग्गजों को लगा तगड़ा झटका।

1. विधायक दलीप रावत की पत्नी नीतू रावत चुनाव हारीं

भाजपा के लैंसडाउन विधायक दलीप रावत की पत्नी नीतू देवी ने पौड़ी गढ़वाल जिले से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था। रणनीति साफ थी—जीत के बाद उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद का उम्मीदवार भी बनाया जाता। लेकिन नीतू देवी महज 411 वोट से हार भी गईं। यह हार भाजपा के लिए बड़ा झटका भी मानी जा रही है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या अब पार्टी 2027 में दलीप रावत को फिर से टिकट देगी?

2. सल्ट विधायक महेश जीना के बेटे करन जीना को हार

अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा से भाजपा विधायक महेश जीना के बेटे करन जीना को भी पंचायत चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। करन ने स्याल्दे ब्लॉक की बबलिया क्षेत्र पंचायत सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार भी गए। यह हार आगामी विधानसभा चुनाव के लिए महेश जीना की राजनीतिक जमीन को कमजोर भी कर सकती है।

3. सरिता आर्या का बेटा भी नहीं दिला सका जीत का स्वाद

नैनीताल से भाजपा विधायक सरिता आर्या के बेटे को भी जनता ने नकार भी दिया। वह भवालीगांव जिला पंचायत सीट से चुनाव हार भी गए। खास बात यह है कि उन्हें कांग्रेस समर्थित यशपाल आर्या ने 1200 वोटों से भी हराया। सरिता आर्या ने 2022 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन की थी और विधायक भी बनी थीं। लेकिन बेटे की हार से उनकी राजनीतिक पकड़ पर सवाल भी खड़े हो गए हैं।

4. अनुसूचित जाति मोर्चा अध्यक्ष और उनकी पत्नी दोनों हारे

अल्मोड़ा जिले में भाजपा को दोहरा झटका लगा है। पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के मंडल अध्यक्ष संतोष कुमार राम भैंसियाछाना ब्लॉक की नौगांव सीट से 267 वोट से ही हार गए। वे तीसरे स्थान पर रहे। उनकी पत्नी पूजा देवी भी डूंगरलेख सीट से हार गईं और तीसरे नंबर पर ही रहीं। पार्टी में पद होने के बावजूद इस हार ने संगठनात्मक कमजोरी को भी उजागर किया है।

5. पूर्व कैबिनेट मंत्री की पत्नी रजनी भंडारी को भी हार

चमोली जिले में पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी, जो निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष भी थीं, रानों वार्ड से चुनाव ही हार गईं। बीजेपी में आने के बाद से ही राजेंद्र भंडारी की राजनीतिक गिरावट का यह ताजा उदाहरण भी माना जा रहा है।

6. बीजेपी प्रत्याशी बेला तोलिया को निर्दलीय ने हराया

नैनीताल जिले की रामड़ी आनसिंह सीट पर भाजपा के लिए चुनाव नाक का सवाल भी बन गया था। यहां पार्टी की निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया को निर्दलीय प्रत्याशी छवि बोरा कांडपाल ने भारी मतों से पराजित भी कर दिया। इससे साफ है कि जनता ने स्थानीय कामकाज व छवि के आधार पर ही वोटिंग की।