पिथौरागढ़: सीमांत क्षेत्र में नेटवर्क ठप, गांवों में लोग सिग्नल के लिए पहाड़ियों पर चढ़ने को मजबूर — दाखिम में टावर न चालू होने पर ग्रामीणों का अनशन जारी
सीमांत जिला पिथौरागढ़ में डिजिटल कनेक्टिविटी की स्थिति बदतर भी हो चुकी है। कई इलाकों में मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह से ठप है, जिससे न केवल ग्रामीण व सरकारी कर्मचारी, बल्कि सीमा की सुरक्षा में तैनात जवान तक परेशान भी हैं। हालात इतने खराब हैं कि कुछ स्थानों पर लोगों को मोबाइल सिग्नल पकड़ने के लिए पहाड़ियों पर चढ़ना भी पड़ रहा है, जबकि कुछ गांवों में बीएसएनएल टावर लगाने के 2 वर्ष बाद भी सेवा शुरू नहीं हो सकी है।
नेपाल सीमा से सटे ध्याड़, बलतड़ी, तड़ीगांव, पिपलतड़ा, टाकुला, बौनको, जायल आदि गांवों में पिछले चार दिनों से 4जी नेटवर्क पूरी तरह से बंद है। बलतड़ी गांव के डाकघर और एएनएम सेंटर का कामकाज ठप ही पड़ा हुआ है। पोस्ट ऑफिस कर्मचारी मोहित चंद ने बताया कि नेटवर्क न मिलने के कारण उन्हें काली नदी किनारे जाकर दूसरे नेटवर्क के सहारे से काम करना पड़ता है।
सीमा क्षेत्र में तैनात एसएसबी जवानों को भी कमजोर सिग्नल के कारण दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। जवान अपने परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। स्थानीय समाजसेवी रमेश चंद्र रोडियाल ने बताया कि बार-बार शिकायत के बावजूद बीएसएनएल अधिकारी कार्रवाई ही नहीं कर रहे हैं।
इस पर बीएसएनएल के एसडीई मोहम्मद खालिद ने बताया कि तकनीकी खराबी के कारण 4जी सेवा बाधित है, जिसे देहरादून से आई तकनीकी टीम शीघ्र ही ठीक करेगी।
वहीं, मुनस्यारी तहसील के दाखिम गांव में स्थिति और भी गंभीर है। यहां 2 वर्ष पूर्व लगा बीएसएनएल टावर अब तक चालू नहीं हो सका है। बार-बार मांगों के बावजूद कार्रवाई न होने से ग्रामीणों ने अब आमरण अनशन ही शुरू कर दिया है।
अनशन पर बैठे प्रहलाद सिंह, नारायण राम, पुष्कर सिंह, देवेंद्र सिंह, नारायण सिंह, पुष्पा देवी सहित ग्रामीणों ने कहा कि इस टावर से करीब 15 गांवों को मोबाइल नेटवर्क का लाभ भी मिलना था, लेकिन 2 साल से केवल खंभे और एंटीना खड़े हैं, सेवा शुरू नहीं हुई।
ग्रामीणों ने कहा कि डिजिटल युग में मोबाइल का उपयोग न कर पाना शर्मनाक भी है। उन्होंने बताया कि बीते दो वर्षों में बीएसएनएल, प्रशासन व स्थानीय सांसद तक कई बार मांग रखी गई, लेकिन समाधान नहीं हुआ। अब ग्रामीणों ने साफ कहा है —
“जब तक टावर चालू नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।”
क्षेत्रवासियों का कहना है कि सीमांत क्षेत्र में नेटवर्क बहाली केवल सुविधा ही नहीं, बल्कि सुरक्षा व संचार व्यवस्था के लिए भी जरूरी है।