फर्जी प्रमाणपत्रों का जाल: सुरेंद्र की चालाकी ने खुद ही खोल दी पोल

देहरादून/हापुड़। सरकारी भर्ती में घुसपैठ की नीयत से सुरेंद्र ने फर्जीवाड़े का ऐसा जाल बुना कि खुद उन्हीं चालों में उलझ भी गया। 3 अलग-अलग फॉर्म भरकर उसने पहचान छुपाने की कोशिश भी की, लेकिन छोटी-छोटी गलतियों ने उसका पूरा खेल बेनकाब ही कर दिया।

इम्प्लाई आईडी में सबसे बड़ा भंडाफोड़

सेवायोजन विभाग में दी गई उसकी इम्प्लाई आईडी भी फर्जी साबित हुई। उसने आईडी की शुरुआत “UA” से की, जबकि उत्तराखंड की आधिकारिक शुरुआत “UK” से होती है और इसमें 16 अंक भी होते हैं। मगर उसने “UA” के आगे केवल 13 अंक ही लिखे। इसी गड़बड़ी से शक की शुरुआत भी हुई।

पिता का नाम 3 तरह से लिखा

सुरेंद्र ने पहचान छिपाने के लिए पिता के नाम की स्पेलिंग तीनों ही फॉर्म में अलग-अलग लिखी—सालीक, शालीक व सलीक। अंग्रेजी में भी स्पेलिंग बदलकर उसने कंप्यूटर सिस्टम को भ्रमित करने की कोशिश भी की।

फर्जी प्रमाणपत्र, गलत पते

उसने देहरादून के बालावाला पते पर फर्जी स्थायी निवासी प्रमाणपत्र भी बनवाया।

  • आवेदन की तारीख 2001 दिखाई
  • जारी वर्ष 2023 लिखा
  • शासनादेश की संख्या गलत
  • एसडीएम के हस्ताक्षर गायब

इसके आधार पर उसने ओबीसी प्रमाणपत्र भी बनवाया, जिसमें की प्रमाणपत्र संख्या 17 अंकों की दिखाई गई, जबकि सही संख्या 16 अंकों की ही होती है।

जन्मतिथि भी तीन बार बदली

अपनी जन्मतिथि छिपाने के लिए सुरेंद्र ने हाईस्कूल की परीक्षा 3 बार देना भी दर्शाया।

  • एक फॉर्म में जन्मतिथि 1988
  • दूसरे में 1995
  • कभी गाजियाबाद, कभी देहरादून, तो कभी हापुड़ का निवासी बताया

एक ही समय में तीन ग्रेजुएशन!

सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब उसने साल 2010 से 2013 तक के 3 अलग-अलग विश्वविद्यालयों से एक ही अवधि में ग्रेजुएशन करने का दावा भी किया। यह न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि व्यावहारिक रूप से असंभव भी है।

जांच में खुली सभी परतें

जांच एजेंसियों ने जब एक-एक दस्तावेज खंगाले तो सुरेंद्र की हर चालाकी भी सामने आ गई। जन्मतिथि, शिक्षण संस्थान, पता, प्रमाणपत्र संख्या, शासनादेश, सबकुछ ही जाली निकला।

 

अब पूरा मामला गंभीर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने व सरकारी प्रक्रियाओं को गुमराह करने का है। विभाग उसके खिलाफ मुकदमे की तैयारी में भी जुटा है।