लक्सर में 5 साल की मासूम से छेड़छाड़: 65 वर्षीय बुजुर्ग गिरफ्तार, 48 घंटे में सलाखों के पीछे
लक्सर : उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के लक्सर क्षेत्र में मासूम बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों ने एक बार फिर समाज को झकझोर दिया है। बीती 21 सितंबर को एक 5 वर्षीय बच्ची के साथ छेड़छाड़ की घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। पुलिस ने मात्र 48 घंटों के भीतर आरोपी 65 वर्षीय बुजुर्ग को गिरफ्तार कर लिया और आज कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। यह कार्रवाई हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रमेंद्र डोबाल के सख्त निर्देशों का नतीजा है, जिन्होंने इस गंभीर मामले में विशेष जांच टीम गठित की थी।
घटना की जानकारी मिलते ही लक्सर कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई गई। पीड़िता के पिता, जो गांव के ही निवासी हैं, ने बताया कि उनकी बेटी खेलते-खेलते घर के पास ही गायब हो गई थी। जब बच्ची रोते हुए लौटी, तो उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे और चेहरे पर डर का साया मंडरा रहा था। पूछताछ पर बच्ची ने बताया कि गांव के ही एक बुजुर्ग ने उसे बहला-फुसलाकर पास के खेत में ले जाकर छेड़छाड़ की कोशिश की। यह सुनकर परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने तुरंत लक्सर कोतवाली पहुंचकर तहरीर दी, जिसमें आरोपी के नाम का स्पष्ट उल्लेख किया गया।
शिकायत मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी। एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उपनिरीक्षक दीपक चौधरी और महिला उपनिरीक्षक प्रियंका नेगी की अगुवाई में एक विशेष टीम का गठन किया। टीम को आरोपी की तलाश के लिए सख्त निर्देश दिए गए। जांच के दौरान पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया, जिसमें छेड़छाड़ के निशान साफ दिखाई दिए। इसके आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 74 (बाल यौन शोषण) और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
आरोपी, जिसकी पहचान 65 वर्षीय रामस्वरूप (काल्पनिक नाम, गोपनीयता हेतु) के रूप में हुई है, गांव में ही रहता था। वह अक्सर बच्चों के आसपास घूमता रहता था, जिससे परिजनों को पहले भी शक होता था, लेकिन कोई ठोस सबूत न होने से चुप रहना पड़ता था। 24 सितंबर को पुलिस टीम ने आरोपी को उसके घर से दबोच लिया। पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। आरोपी ने बताया कि घटना के समय वह नशे में था और बच्ची को अकेला देखकर उसने गलत कदम उठा लिया। पुलिस ने उसके घर से कुछ संदिग्ध सामग्री भी बरामद की, जो जांच का विषय बनी हुई है।
आज, 26 सितंबर को आरोपी को जिला कोर्ट में पेश किया गया, जहां मजिस्ट्रेट ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने बताया, “यह मामला बच्चों के खिलाफ अपराध की कड़ी निंदा करता है। हमारी प्राथमिकता पीड़िता को न्याय दिलाना और अपराधियों को सख्त सजा सुनिश्चित करना है। विशेष टीम लगातार जांच जारी रखेगी, ताकि कोई लूपहोल न रहे।” पुलिस ने पीड़िता के परिवार को सुरक्षा और काउंसलिंग की पेशकश की है, साथ ही इलाके में जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है।
लक्सर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक राजीव रौथाण ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मासूम बच्चों के साथ किसी भी तरह की दरिंदगी करने वालों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। अभिभावकों से अपील है कि ऐसे मामलों में तत्काल पुलिस को सूचना दें। ताकि, अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई की जा सके। हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा असुरक्षित न महसूस करे।” उनके इस बयान ने स्थानीय लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाया है।
लक्सर-पथरी क्षेत्र में बढ़ते अपराध: एक चिंताजनक प्रवृत्ति
यह घटना लक्सर और आसपास के पथरी थाना क्षेत्र में हाल के वर्षों में बढ़ते यौन अपराधों की कड़ी का हिस्सा है। पिछले कुछ महीनों में यहां छेड़छाड़, दुष्कर्म और नाबालिगों के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी, आर्थिक असमानता और सामाजिक कुरीतियां इन अपराधों को बढ़ावा दे रही हैं। आइए, कुछ प्रमुख घटनाओं पर नजर डालें:
सबसे चर्चित घटना अगस्त 2025 की है, जब पथरी थाना क्षेत्र के धनपुरा गांव में 14 वर्षीय नाबालिग मुस्लिम लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया। तीन युवकों—अरविंद, राहुल और एक नाबालिग—ने पीड़िता को गौशाला के पास बने एक कमरे में बहला-फुसलाकर ले जाकर क्रूरता की हद पार कर दी। दुष्कर्म के बाद पकड़े जाने के डर से उन्होंने लड़की को मकान की छत से नीचे फेंक दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। घटनास्थल के पास झाड़ियों में दर्द से कराहती हुई लड़की का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया।
वीडियो में पीड़िता की पीड़ा साफ दिखाई दे रही थी—उसके चेहरे पर खून बह रहा था, शरीर पर चोट के निशान थे और वह मदद की गुहार लगा रही थी। यह वीडियो देखकर स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। सैकड़ों ग्रामीण फेरुपुर पुलिस चौकी पहुंचे और आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करने लगे। हंगामा इतना बढ़ गया कि हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपमा रावत भी मौके पर पहुंचीं। उन्होंने एसएसपी से तुरंत कार्रवाई की मांग की। राजनीतिक दलों के नेता भी इसमें कूद पड़े, जिससे मामला तूल पकड़ गया।
पुलिस ने त्वरित एक्शन लेते हुए मुख्य आरोपी अरविंद को 15 घंटों के अंदर पथरी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। बाकी दो आरोपी भी जल्द पकड़े गए। पीड़िता को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई गई। डॉक्टरों के अनुसार, चोटें गंभीर हैं, लेकिन जान का खतरा टल गया है। इस मामले में भी पॉक्सो एक्ट और बीएनएस की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। एसएसपी डोबाल ने बताया कि वीडियो के आधार पर अतिरिक्त सबूत जुटाए जा रहे हैं।
इससे पहले जुलाई 2025 में लक्सर के एक गांव में एक अन्य छेड़छाड़ का मामला सामने आया, जहां एक 8 वर्षीय बच्ची को स्कूल जाते समय एक अज्ञात व्यक्ति ने परेशान किया। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी को पकड़ा, जो स्थानीय ही निकला। इसी तरह, जून में पथरी क्षेत्र में एक नाबालिग से दुष्कर्म की कोशिश का मामला दर्ज हुआ, जिसमें आरोपी ने पीड़िता को मारने की भी धमकी दी थी। इन घटनाओं से साफ है कि इलाके में अपराधी बेखौफ हो रहे हैं।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मीरा देवी ने कहा, “ये गांव हैं, जहां हर कोई एक-दूसरे को जानता है। फिर भी, बच्चों के खिलाफ ऐसी घटनाएं हो रही हैं। अभिभावक व्यस्त हैं, स्कूलों में निगरानी कम है। हमें सामूहिक जिम्मेदारी लेनी होगी।” एक सर्वे के अनुसार, हरिद्वार जिले में 2025 के पहले नौ महीनों में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के 25 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जो पिछले साल से 30% अधिक हैं।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव: एक गहरा घाव
इन घटनाओं का असर सिर्फ पीड़ित परिवारों तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी हिंसा से बच्चों में स्थायी आघात होता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. रेनू शर्मा बताती हैं, “5-14 वर्ष की उम्र में होने वाला यौन शोषण बच्चे के विकास को बाधित करता है। वे डर, शर्म और अविश्वास से ग्रस्त हो जाते हैं। परिवार को काउंसलिंग जरूरी है, ताकि बच्चा सामान्य जीवन जी सके।”
लक्सर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक कलंक भी एक बड़ी समस्या है। कई मामले रिपोर्ट ही नहीं होते, क्योंकि परिवार बदनामी के डर से चुप रहते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में 2024 में बच्चों के खिलाफ अपराधों में 15% वृद्धि हुई, जिसमें हरिद्वार जिला टॉप-5 में शामिल है।
पुलिस और प्रशासन की पहल: रोकथाम के उपाय
पुलिस ने इन घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। एसएसपी डोबाल के नेतृत्व में ‘सुरक्षित बचपन’ अभियान शुरू किया गया है, जिसमें गांव-गांव जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, महिला हेल्पलाइन नंबर 1098 को सक्रिय करने और ग्राम पंचायत स्तर पर निगरानी समितियां गठित करने का प्लान है। इसके अलावा, पॉक्सो कोर्ट्स को मजबूत करने की मांग उठ रही है, ताकि मुकदमे जल्द निपटें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में एक बैठक में कहा, “बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। अपराधियों को फांसी जैसी सख्त सजा सुनिश्चित करेंगे।” राज्य सरकार ने पॉक्सो मामलों में फास्ट-ट्रैक ट्रायल की व्यवस्था की है।