IAS बीवीआरसी पुरुषोत्तम की VRS पर सस्पेंस बरकरार, IPS रचिता जुलाय का इस्तीफा मंजूर

देहरादून | उत्तराखंड के वरिष्ठ IAS अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) को लेकर सस्पेंस लगातार बना हुआ है। जबकि उन्हें VRS का आवेदन किए हुए तीन महीने से भी अधिक समय बीत चुका है, अब तक शासन स्तर से कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है।

दूसरी ओर, IPS अधिकारी रचिता जुलाय का इस्तीफा केंद्र सरकार द्वारा मंजूर कर लिया गया है। रचिता वर्तमान में एक संवेदनशील जांच की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। अब उनकी जगह जांच की कमान CO विजिलेंस हर्षवर्धनी सुमन को सौंपी गई है।

IAS बीवीआरसी पुरुषोत्तम का VRS आवेदन तीन महीने से लंबित

2004 बैच के IAS अफसर बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने मई 2025 में VRS के लिए आवेदन किया था। उन्होंने अपने आवेदन में पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की इच्छा जताई थी। हालांकि, अब तक इस पर न तो कोई शासनादेश जारी हुआ है, न ही कोई आधिकारिक फाइल तैयार की गई है।

गौरतलब है कि बीवीआरसी पुरुषोत्तम की सेवानिवृत्ति की वास्तविक तिथि वर्ष 2037 है। यानी उनके पास अभी भी करीब 12 साल की सेवा अवधि शेष है। ऐसे में समय से 12 साल पहले VRS का आवेदन देना अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है।

तीन महीने में स्वीकृति न मिलने पर VRS ‘स्वीकृत’ मानी जाती है, लेकिन…

ऑल इंडिया सर्विस रूल्स के मुताबिक, किसी अधिकारी द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन देने के तीन महीने के भीतर यदि सरकार कोई निर्णय नहीं लेती, तो VRS स्वतः स्वीकृत मानी जाती है। लेकिन बीवीआरसी पुरुषोत्तम के मामले में यह नियम वास्तविकता में लागू नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अब तक इस फाइल पर प्रक्रिया शुरू ही नहीं की गई है।

शासन सूत्रों के अनुसार, अभी तक उनके VRS आवेदन से संबंधित कोई भी स्पष्ट प्रशासनिक पहल नहीं हुई है, जिससे यह मामला और अधिक उलझा हुआ नजर आता है।

VRS के पीछे पारिवारिक कारण: बीवीआरसी पुरुषोत्तम

VRS के आवेदन के बाद बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था:

“मैं इस समय पारिवारिक कारणों से छुट्टी पर हूं और इन्हीं कारणों से मैंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका निर्णय पूरी तरह से निजी है और इसमें कोई अन्य कारण शामिल नहीं है।

IPS रचिता जुलाय का VRS स्वीकार, केंद्र ने दी मंजूरी

जहाँ एक ओर IAS पुरुषोत्तम की सेवानिवृत्ति अधर में लटकी हुई है, वहीं दूसरी ओर 2015 बैच की IPS अधिकारी रचिता जुलाय का इस्तीफा केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत कर लिया गया है। रचिता ने भी जून 2025 में VRS का आवेदन किया था, जिसे अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।

SP विजिलेंस के पद पर तैनात थीं रचिता जुलाय

IPS रचिता जुलाय वर्तमान में SP विजिलेंस के पद पर कार्यरत थीं। उनके सुपरविजन में उत्तराखंड के चर्चित हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाले की जांच चल रही थी। इस घोटाले में मनी ट्रेल और भूमि दस्तावेजों की गड़बड़ी के कई पहलू सामने आए थे।

अब उनके इस्तीफे के बाद इस जांच की पूरी जिम्मेदारी CO विजिलेंस हर्षवर्धनी सुमन के कंधों पर होगी। हालाँकि, पहले से ही हर्षवर्धनी इस केस में सह-जांच अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे थे।


क्या कहती हैं जानकारियां: एक VRS पर देरी, दूसरी पर तेजी?

एक ही राज्य में दो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा VRS के आवेदन की प्रक्रिया में इतना अंतर होने पर कई सवाल उठने लगे हैं। जहाँ एक ओर रचिता जुलाय का VRS तीन महीने में मंजूर हो गया, वहीं दूसरी ओर बीवीआरसी पुरुषोत्तम के मामले में तीन महीने बीतने के बाद भी शासन स्तर पर चुप्पी बनी हुई है।

क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या कोई और रणनीति? इस पर फिलहाल अधिकारिक रूप से कोई जवाब नहीं मिला है।

 VRS प्रक्रिया में पारदर्शिता की जरूरत

IAS और IPS जैसे शीर्ष पदों पर कार्यरत अधिकारियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति जैसे संवेदनशील मामलों में पारदर्शिता और समयबद्ध निर्णय न होना गवर्नेंस की साख पर सवाल खड़े करता है। जहां एक अधिकारी का इस्तीफा आसानी से मंजूर हो जाता है, वहीं दूसरे के मामले में महीनों तक कोई हलचल नहीं होना, प्रशासनिक तंत्र की धीमी प्रक्रिया की पोल खोलता है।