वक्फ संशोधन विधेयक 2024: लोकसभा में पेश होने जा रहा है ऐतिहासिक विधेयक, जेपीसी से मिली मंजूरी के बाद महत्वपूर्ण बदलाव

केंद्र सरकार आज बुधवार (2 अप्रैल) को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश करने जा रही है। हालांकि, यह विधेयक पहले पिछले वर्ष अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन इसके बाद इसे सर्वसम्मति से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया था। जेपीसी ने इस विधेयक पर 6 महीने तक विचार किया और 27 जनवरी को इसे फिर से संसद में पेश करने की मंजूरी भी दे दी। इसके बाद, एक माह के भीतर केंद्रीय कैबिनेट ने भी इस विधेयक पर मुहर लगा दी।

अब सरकार ने इसे बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिर में पेश करने का निर्णय भी लिया है, जिसके माध्यम से सरकार वक्फ कानून, 1995 में संशोधन करना चाहती है। इस संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाना व संबंधित विवादों को शीघ्र सुलझाना है।

संशोधनों पर चर्चा: जेपीसी में क्या हुआ?
जेपीसी में भेजे जाने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक में कुल 572 संशोधन प्रस्तावित किए गए थे। जेपीसी की बैठक में 14 संशोधनों को बहुमत से मंजूरी दी गई। विपक्षी दलों द्वारा कई संशोधनों का विरोध भी किया गया, लेकिन उन्हें बहुमत से खारिज कर दिया गया।

जेपीसी की सदस्य, सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि विधेयक पर पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चर्चा भी की गई और समिति ने 284 हितधारकों से भी बातचीत की। इसके बाद 29 जनवरी को यह विधेयक 15-11 के अंतर से जेपीसी द्वारा अनुमोदित किया गया और रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर को भी सौंप दी गई।

सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी
जेपीसी की बैठकों के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी भी देखी गई। बैठक में विपक्षी सांसदों ने अपनी असहमति जताते हुए जेपीसी अध्यक्ष पर आरोप लगाए कि वह अपनी मनमानी भी कर रहे थे। इस बीच, कुछ सांसदों को बैठक से निलंबित भी किया गया। विपक्षी दलों ने विधेयक को असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक बताया।

विधेयक में किए गए महत्वपूर्ण बदलाव

  1. वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता: वक्फ संपत्तियों से संबंधित मामलों को अब पूर्वव्यापी तरीके से नहीं खोला जाएगा, जब तक कि वे विवादित न हों।
  2. वक्फ बोर्ड में महिला और गैर-मुस्लिम सदस्य: विधेयक में वक्फ बोर्डों में कम से कम दो महिला और गैर-मुस्लिम सदस्य को नामित करने का प्रस्ताव किया गया है।
  3. वक्फ विवादों में सरकारी अधिकारी की जांच: पहले जिला कलेक्टर को वक्फ विवादों में जांच की शक्ति दी गई थी, जिसे अब संशोधित किया गया है और राज्य सरकार को मामले की जांच करने का अधिकार दिया गया है।
  4. वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण: सभी वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण केंद्रीय डाटाबेस में किया जाएगा और अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो संबंधित वक्फ जमीन पर अतिक्रमण होने पर अदालत में जाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा।
  5. न्यायाधिकरण का निर्णय अब चुनौती योग्य: वक्फ न्यायाधिकरण के फैसले को अब उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी, जिससे इसकी शक्ति सिविल कोर्ट से कम नहीं होगी।

विधेयक का उद्देश्य
यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाने के साथ-साथ उनमें पारदर्शिता और न्याय की प्रक्रिया को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। सरकार का मानना है कि इस संशोधन से वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन भी होगा और वक्फ बोर्ड अधिक प्रभावी ढंग से काम करेगा।

विपक्षी दलों का दावा है कि यह विधेयक मुसलमानों के धार्मिक मामलों में सरकार के हस्तक्षेप का अवसर देगा, जबकि सरकार इसे वक्फ संपत्तियों की देखरेख व लाभार्थियों की मदद के रूप में देखती है।