उत्तराखंड ने अपनाई केंद्र की संशोधित जल नीति 2024 — पानी के प्रदूषण पर सख्त दंड और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय
देहरादून: उत्तराखंड ने आखिरकार केंद्र की संशोधित जल नीति 2024 को भी अपनाया है। इसके लागू होने के बाद प्रदेश में पानी के उपयोग व प्रदूषण को लेकर कई नए नियम भी लागू हो गए हैं, जो न केवल अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेंगे, बल्कि उल्लंघन करने वालों पर कठोर दंड का प्रावधान भी करते हैं।
प्रदेश विधानसभा ने इस वर्ष की शुरुआत में संकल्प पारित कर पानी के संरक्षण व स्वच्छता के लिए दिशा-निर्देश तय किए थे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राज्य में जल प्रदूषण को लेकर कई मामलों में चेतावनी भी जारी की थी, जबकि हाल ही में सिडकुल क्षेत्र में पानी के उचित ट्रीटमेंट को लेकर भी उत्तराखंड पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड को नोटिस भी दिया गया। ऐसे में संशोधित वाटर एक्ट 2024 को लागू करना एक महत्वपूर्ण कदम भी माना जा रहा है।
नई नीति के तहत छोटे उल्लंघनों पर 5,000 से 10,000 रुपये, जबकि गंभीर मामलों में 10,000 रुपये से 15 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था जुर्माना नहीं अदा करती है, तो दोगुना जुर्माना या 3 साल तक की सजा भी दी जा सकती है।
केंद्र सरकार अब उल्लंघनों के मामलों में निर्णायक अधिकारी नियुक्त कर सकती है, जो संयुक्त सचिव या उससे उच्च स्तर के अधिकारी भी होंगे। इनके फैसलों के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण में अपील की जा सकेगी, बशर्ते जुर्माने की 10 प्रतिशत राशि पहले ही जमा कराई जाए। इसके अलावा केंद्र सरकार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से सहमति लेने की प्रक्रिया पर दिशा-निर्देश जारी भी कर सकती है या कुछ विशिष्ट उद्योगों को छूट भी दे सकती है।
उत्तराखंड पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के अनुसार, नई जल नीति लागू होने से औद्योगिक इकाइयों की जवाबदेही भी बढ़ेगी, जल प्रदूषण नियंत्रण की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी व प्रभावी बनेगी। नीति के तहत प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों की तैनाती और जिम्मेदारियां भी स्पष्ट रूप से तय भी की गई हैं।
पराग मधुकर धकाते, सदस्य सचिव, उत्तराखंड पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड ने कहा,
“नई जल नीति से प्रदेश में पानी की स्वच्छता व संरक्षण को लेकर ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। इसका उद्देश्य उद्योगों व नागरिकों को जल प्रदूषण के प्रति जागरूक करना व नियमों का पालन सुनिश्चित करना है।”