गेहूं खरीद में सुस्ती, लेकिन किसानों को खेत पर ही मिल रहे बेहतर दाम – सरकारी केंद्रों से दूर हो रहा किसान
देहरादून | रबी विपणन सत्र में जहां सरकारी गेहूं खरीद रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है, वहीं राज्य के किसान अपने खेतों पर ही अच्छे दाम मिलने से बेहद संतुष्ट भी नजर आ रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2425 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन किसानों को 2600 से लेकर 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक फसल की कीमत भी मिल रही है।
बाजार भाव ने बढ़ाई किसानों की आमदनी
ज्यादातर किसानों को बिचौलियों या उपभोक्ताओं से सीधी डीलिंग में एमएसपी से अधिक भाव भी मिल रहा है, जिससे वे सरकारी खरीद केंद्रों का रुख करने की जरूरत ही नहीं समझ रहे। इसी कारण, राज्य सरकार द्वारा पीडीएस के लिए निर्धारित 50 हजार मीट्रिक टन खरीद लक्ष्य अब दूर की बात भी लग रही है।
अब तक सिर्फ 1757 क्विंटल गेहूं की ही खरीद हो पाई है। राज्यभर में 84 सरकारी क्रय केंद्र स्थापित भी किए जा चुके हैं, लेकिन महज 39 किसानों ने ही पंजीकरण भी कराया है।
किसान हो रहे आत्मनिर्भर
यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि राज्य के किसान अब गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर भी हो रहे हैं, और वे खुद बाजार से बेहतर सौदे करने में सक्षम हैं। सरकारी केंद्रों पर केवल वही किसान पहुंच रहे हैं, जिनकी फसल की पैदावार कम है या जिन्हें निजी खरीदार तक पहुंच ही नहीं है।
सरकार का रुख सकारात्मक
खाद्य विभाग के आयुक्त हरिचंद्र सेमवाल ने कहा, “न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को नुकसान से बचाने के लिए तय किया जाता है। यदि किसानों को इससे बेहतर दाम बाजार या खेत पर ही मिल रहे हैं, तो यह स्थिति स्वागत योग्य है। सरकार का मकसद भी यही है कि किसान बिना परेशानी अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त करें।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जहां कहीं बाजार में भाव गिरते हैं, वहां के किसानों के लिए सरकारी केंद्र हमेशा खुले हैं और रहेंगे।