राज्य स्थापना दिवस पर “उत्तराखंड एक विचार – देवभूमि के 25 वर्षों का चिंतन” कार्यक्रम, प्रदेश के भविष्य पर मंथन
देहरादून में राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर ब्रह्मकमल शक्ति संस्था व दून डायलॉग के संयुक्त तत्वावधान में विशेष कार्यक्रम “उत्तराखंड एक विचार – देवभूमि के 25 वर्षों का चिंतन” आयोजित भी किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य था — पिछले 25 वर्षों में प्रदेश ने क्या पाया, क्या खोया व आगे विकास की दिशा कैसी होनी चाहिए — इस पर सार्थक विमर्श करना।
दून पुस्तकालय में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत राज्य आंदोलन के शहीदों को नमन कर ही हुई। इसके बाद ब्रह्मकमल शक्ति संस्थान के अध्यक्ष व दून डायलॉग के संयोजक अभिनव थापर ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती वर्ष पर यह आवश्यक है कि हम अपने 25 वर्षों की यात्रा की समीक्षा करें व आने वाले 25 वर्षों की दिशा तय करें।
कार्यक्रम में समाज, राजनीति, शिक्षा व संस्कृति से जुड़ी कई जानी-मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया। विचार गोष्ठी को तीन सत्रों में विभाजित किया गया—
🔹 पहला सत्र: पर्यावरण, विज्ञान व प्रौद्योगिकी पर केंद्रित रहा। इसमें विधायक किशोर उपाध्याय, स्वामी राम हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र डोभाल, अधिवक्ता अभिजय नेगी, व आयोजक अभिनव थापर ने विचार रखे। इस सत्र का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने ही किया।
टिहरी बांध, दून घाटी एक्ट, गंगा–हिमालय संरक्षण, तकनीक आधारित रोजगार व पर्यावरणीय चुनौतियों जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा भी हुई।
🔹 दूसरा सत्र: रोजगार, युवाओं की भूमिका व राज्य की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर केंद्रित रहा। विशेषज्ञों ने उत्तराखंड के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नीति निर्माण और स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योगों की जरूरत पर भी जोर दिया।
🔹 तीसरा सत्र: उत्तराखंड की लोक संस्कृति, परंपरा व महिला सशक्तिकरण विषय पर रहा। इसमें पद्मश्री बसंती देवी, लोकगायक सौरभ मैठाणी, और राज्यमंत्री विनोद उनियाल ने भाग लिया। वक्ताओं ने कहा कि राज्य की असली पहचान उसकी संस्कृति और मातृशक्ति में निहित है, जिसे संरक्षित व सशक्त बनाना आवश्यक है।
कार्यक्रम में सर्वसम्मति से यह निष्कर्ष निकला कि उत्तराखंड के सतत विकास के लिए पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय रोजगार व सांस्कृतिक विरासत को समान महत्व भी देना होगा।