
अब उत्तराखंड के हर शहर में कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों पर GPS की निगरानी, जवाबदेही तय करने की तैयारी
देहरादून | उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में अब कूड़ा प्रबंधन व्यवस्था व अधिक सख्त और पारदर्शी होने जा रही है। प्रदेश के सभी नगर निकायों में कूड़ा उठाने वाले वाहनों पर GPS सिस्टम लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। शहरी विकास सचिव नितेश झा ने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश भी जारी किए हैं।
पूरे राज्य में लागू होगा व्हीकल लोकेशन ट्रेसिंग सिस्टम
फिलहाल देहरादून, हल्द्वानी, काशीपुर जैसे 8 नगर निकायों में स्थानीय स्तर पर कूड़ा गाड़ियों की जीपीएस मॉनिटरिंग की व्यवस्था तो है, लेकिन यह पूरी तरह प्रभावी ही नहीं है। अब शहरी विकास विभाग ने इसे राज्य स्तर पर मजबूत व केंद्रीकृत प्रणाली के तहत लागू करने का निर्णय भी लिया है।
NIC (नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर) की मदद से एक विशेष सॉफ्टवेयर भी विकसित किया जाएगा, जिससे शहरी विकास निदेशालय से लेकर हर निकाय तक, सभी कूड़ा वाहनों की रियल-टाइम ट्रैकिंग भी संभव होगी।
गाड़ियों की निगरानी से जवाबदेही तय
GPS सिस्टम के तहत नगर निकायों के अधिकारी अब यह साफ-साफ देख पाएंगे कि कूड़ा गाड़ियां कब और कहां पर जा रही हैं। इससे उन कर्मचारियों पर नकेल कसी जा सकेगी, जो अपने कार्य में लापरवाही बरतते हैं या समय पर वार्डों में नहीं पहुंचते। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी वार्डों में नियमित रूप से डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण भी हो।
कहां-कहां हो रहा पहले से इस्तेमाल?
- हल्द्वानी नगर निगम: यहां 80 कूड़ा संग्रहण वाहनों में GPS डिवाइस लगे हुए हैं और इनकी निगरानी निगम स्तर पर हो रही है।
- काशीपुर नगर निगम: सभी कूड़ा गाड़ियों में GPS सिस्टम लगाया जा चुका है और स्थानीय स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है।
- देहरादून: राजधानी में भी कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों पर GPS सिस्टम पहले से सक्रिय है।
क्या होगा फायदा?
- गाड़ियों के रूट का रियल-टाइम ट्रैकिंग
- लापरवाही रोकने में मदद
- शिकायतों में कमी
- साफ-सफाई व्यवस्था में सुधार
- कूड़ा प्रबंधन का डिजिटल डेटा तैयार
यह पहल उत्तराखंड के शहरी विकास को तकनीक के साथ जोड़ते हुए सफाई व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़ा कदम भी है। अब कूड़ा गाड़ियों के गायब होने, वार्ड न पहुंचने या समय पर कलेक्शन न होने जैसी शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई भी संभव हो सकेगी।