बदरीनाथ धाम परंपरा विवाद पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार और मंदिर समिति को 4 हफ्ते में जवाब तलब

देहरादून: देश के प्रमुख चारधामों में शामिल बदरीनाथ धाम की परंपरा व धार्मिक सेवा नियमावली को लेकर चल रहा विवाद अब अदालत की चौखट तक भी पहुंच गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने श्री बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड सरकार व बदरी-केदारनाथ मंदिर समिति को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर 2025 को भी तय की गई है।

विवाद की जड़ क्या है?

वर्ष 2024 में बदरी-केदारनाथ मंदिर समिति पर यह आरोप लगा था कि उसने धार्मिक सेवा नियमावली शासन को भेज दी, जबकि उसे बोर्ड बैठक में न तो टेबल किया गया और न ही पारित ही किया गया था।

  • समिति के 11 में से 9 सदस्यों ने इसका लिखित विरोध भी किया था।
  • डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने मुख्यमंत्री और धर्म-संस्कृति मंत्री तक शिकायत पहुंचाई, लेकिन किसी ने कार्रवाई ही नहीं की।

पुजारी समुदाय का प्रदर्शन

सितंबर 2024 में पुजारी समुदाय व डिमरी पंचायत ने इस नियमावली के खिलाफ प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर नियम निरस्ती की मांग भी की।

पंचायत का तर्क है:

“जैसे केदारनाथ में परंपरागत समुदायों को पुजारी पदों पर आरक्षण प्राप्त है, वैसे ही बदरीनाथ धाम से जुड़े सहवर्ती मंदिरों में भी डिमरी पुजारियों की नियुक्ति का अधिकार भी होना चाहिए।”

नई नियमावली से क्यों बढ़ा विवाद?

नई नियमावली में पारंपरिक समुदायों को दरकिनार करते हुए सीधी भर्ती से नियुक्ति का प्रावधान भी कर दिया गया, जिससे पुजारी समुदाय आक्रोशित है।

श्री बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने कहा:

“यह हमारे हक-हुकूक और सदियों पुरानी परंपराओं से छेड़छाड़ है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार ही नहीं किया जाएगा।”

अब पूरा मामला न्यायालय में है। कोर्ट की अगली सुनवाई 24 नवंबर 2025 को होगी, और तब तक सभी की निगाहें इस पर रहेंगी कि परंपरा जीतेगी या नई व्यवस्था को मंजूरी ही मिलेगी।