देहरादून की हरियाली खतरे में: 24 साल में 684 हेक्टेयर जंगल उजड़े, 443 किलो टन CO₂ वायुमंडल में घुली
जंगलों की तबाही से बढ़ा तापमान, घटा जलस्तर, जैव विविधता पर मंडराया संकट | वैज्ञानिकों ने बताया जलवायु परिवर्तन का सीधा असर
देहरादून ; कभी प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध देहरादून अब पर्यावरणीय संकट का केंद्र बनता जा रहा है। वर्ष 2001 से 2024 के बीच इस क्षेत्र में 684 हेक्टेयर वन आवरण (ट्री कवर) समाप्त हो चुका है। इसका सीधा प्रभाव न केवल पर्यावरण पर पड़ा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के संकेत भी स्पष्ट रूप से दिखने लगे हैं।
इस वनों की कटाई से 443 किलो टन कार्बन डाई ऑक्साइड वायुमंडल में घुल चुकी है, जिससे स्थानीय और क्षेत्रीय जलवायु में परिवर्तन देखा जा रहा है।
तापमान में वृद्धि और जल संकट की चेतावनी
वनों की कमी से देहरादून का औसत तापमान बढ़ा है और वर्षा का पैटर्न भी असामान्य होता जा रहा है। गर्मियों में पारा 2 से 3 डिग्री तक अधिक दर्ज किया गया, जबकि झीलें, नदियाँ और जल स्रोत धीरे-धीरे सूखते जा रहे हैं। यह परिवर्तन जैव विविधता पर भी भारी असर डाल रहा है। कई पशु-पक्षी प्रजातियाँ या तो पलायन कर रही हैं या विलुप्ति की कगार पर हैं।
शहरीकरण और पर्यटन: दोहरी मार
राहुल के शोध के अनुसार, 2019 से 2025 तक देहरादून और उत्तराखंड में पर्यटन में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि कोविड-19 के दौरान (2020-21) इसमें गिरावट आई, लेकिन उसके बाद यह बहुत तेज़ी से वापस बढ़ा।
परिणामस्वरूप:
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कचरा और प्लास्टिक प्रदूषण में बढ़ोतरी
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अवैध निर्माण और अतिक्रमण
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जंगलों के अंदर तक सड़कें, होटल, और रिजॉर्ट्स बनाए गए
प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव
शोध में यह भी बताया गया है कि पर्यटकों की संख्या बढ़ने से:
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स्थानीय जल स्रोतों पर बोझ बढ़ा
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कूड़ा प्रबंधन विफल हो रहा है
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जंगलों की जैविक क्षमता घट रही है
वनों के कटाव और शहरी विस्तार के कारण स्थानीय किसान, गुर्जर समुदाय, और वन आश्रित जनजातियाँ प्रभावित हो रही हैं, जिनकी आजीविका जंगलों पर निर्भर रही है।
वैज्ञानिकों की चेतावनी: अब भी समय है
जलवायु वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने इस स्थिति को “रेड अलर्ट” करार दिया है। उनका मानना है कि अगर वर्तमान स्थिति जारी रही, तो अगले 10 वर्षों में देहरादून का पारिस्थितिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ सकता है।
प्रभावों की सूची:
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और अधिक हीटवेव्स
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जल संकट और सूखा
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बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं
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स्वास्थ्य पर असर: वायु प्रदूषण, जल जनित बीमारियाँ
विशेषज्ञों ने सरकार और जनता के लिए कुछ जरूरी कदम सुझाए हैं:
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शहरी विकास में पर्यावरणीय मूल्यांकन अनिवार्य हो
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पर्यटन को नियंत्रित और सतत रूप से विकसित किया जाए
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पुनः वनीकरण (Reforestation) और वृक्षारोपण अभियान
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स्थानीय समुदायों को संरक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाए
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अवैध निर्माण पर सख्त कार्रवाई
देहरादून की हरियाली, इसकी पहचान है। यदि हमने अभी सचेत होकर कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियाँ केवल ‘देवभूमि’ का नाम सुनेंगी, उसका स्वरूप नहीं देख पाएंगी।