देहरादून में कुदरत का कहर: बादल फटने से 17 की मौत, दर्जनों लापता, टपकेश्वर मंदिर भी तबाही की चपेट में
सहस्रधारा, मजाडा और मालदेवता में सबसे ज्यादा तबाही, नदियां उफान पर, पुल और सड़कें ध्वस्त
देहरादून ; उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात कुदरत ने कहर बरपा दिया। भीषण बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने जिले के कई हिस्सों को प्रभावित किया है। अब तक 17 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 13 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। कई इलाकों में नदी-नालों में उफान आने से दर्जनों मकान ढह गए, पुल टूट गए और सड़कें पूरी तरह से बंद हो गईं।
सहस्रधारा और मालदेवता क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित
सबसे बड़ा नुकसान सहस्रधारा के पास मजाडा गांव में हुआ, जहां देर रात बादल फटने से पूरा गांव दहशत में आ गया। ग्रामीणों ने बताया कि रात करीब 1 बजे तेज गर्जना और बारिश के साथ जमीन कांपने लगी। दीपू और जामा, जो गांव के निवासी हैं, ने बताया कि उन्होंने सीटियां बजाकर और टॉर्च जलाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों की ओर जाने के लिए बुलाया। चार बजे सुबह जब दोबारा बारिश और कंपन शुरू हुई, तब पूरा गांव जैसे एक झटके में डर के साए में आ गया
नदियों ने लिया विकराल रूप, मंदिरों तक पहुंचा पानी
टपकेश्वर मंदिर में भारी तबाही
प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर भी इस आपदा से अछूता नहीं रहा। तमसा नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया कि हनुमान जी की 25 फीट ऊंची प्रतिमा के गले तक पानी पहुंच गया। मंदिर परिसर में पेड़, चट्टानें और मलबा जमा हो गया। पुल टूट गया, और शिवलिंग तक डूब गया।
जामुनवाला: हनुमान मंदिर भी खतरे में
जामुनवाला स्थित एकादश मुखी हनुमान मंदिर परिसर भी आधे से ज्यादा बह चुका है और मुख्य मंदिर भी अब खतरे की जद में है।
झाझरा क्षेत्र में 15 मजदूर नदी में बहे
सबसे अधिक जान का नुकसान झाझरा क्षेत्र में आसन नदी में देखने को मिला। यहाँ खनन कार्य में लगे 15 मजदूर ट्रैक्टर-ट्रॉली सहित बह गए। शाम तक 8 शव बरामद किए गए, 3 को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि 4 अभी भी लापता हैं।
टूटी सड़कें और पुल, 62 मार्ग बाधित
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13 पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त
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62 सड़कें बंद, जिनमें से कई राज्य मार्ग भी शामिल हैं
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प्रेमनगर नंदा की चौकी के पास पुल टूटने से यातायात ठप
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मालदेवता-टिहरी रोड का संपर्क टूट गया
प्रशासन और राहत एजेंसियां अलर्ट पर
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमों ने तुरंत मोर्चा संभाला। अब तक सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। बचाव कार्य अभी भी जारी है।
मानवीय त्रासदी: एक साथ रहने वाले आज एक-दूसरे को नहीं ढूंढ पा रहे
मजाडा और मालदेवता के निवासियों ने बताया कि दशकों से साथ रहने वाले पड़ोसी आज मलबे में दबे हो सकते हैं, और कोई एक-दूसरे के साथ खड़ा नहीं हो सका। आपदा का मंजर इतना भयानक था कि जिसे जहां रास्ता मिला, वहां भाग गया।


