आजादी के बाद से केंद्र की सत्ता में उत्तराखंड के राजनेताओं की धमक रही, अपने राजनीतिक कौशल से उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई

आजादी के बाद से केंद्र की सत्ता में उत्तराखंड के राजनेताओं की धमक भी रही। अपने राजनीतिक कौशल से उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई, बल्कि केंद्र में कई अहम मंत्रालयों की कमान को संभाल कर इस पर्वतीय भूभाग का गौरव भी बढ़ाया।

 

संसदीय चुनाव के मौके पर इन खांटी राजनीतिज्ञों का उत्कर्ष सहसा भी याद आता है। यूपी के पहले सीएम रहे गोविंद बल्लभ पंत का नाता उत्तराखंड से ही था। वह देश के चौथे गृह मंत्री भी थे। अल्मोड़ा के एक छोटे से गांव में जन्म लेने वाले पंत अपनी राजनीतिक व सामाजिक उपलब्धियों की वजह से भारत रत्न से सम्मानित भी हुए। केंद्र में रसायन और उर्वरक मंत्री के साथ ही वित्त मंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा यूपी के सीएम रहे।

 

उन्होंने लोकदल बहुगुणा पार्टी भी बनाई। देश की राजनीति में उन्हें एक जुझारू व प्रखर नेता के तौर पर भी देखा जाता है। एनडी तिवारी केंद्र में विदेश व वित्त मंत्री भी रहे। उन्हें उत्तराखंड का पहला सीएम बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ। आंध्रप्रदेश के राज्यपाल रहे। एक समय ऐसा भी आया था कि राजनीतिक अनुभव की वजह से वह पीएम पद के दावेदार तक माने गए थे।

 

ब्रह्मदत्त जमीन से जुड़े राजनेताओं में से भी थे। उन्होंने टिहरी लोस सीट से चुनाव जीता व केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री भी बनें। केसी पंत का नाता भी नैनीताल सीट से ही रहा। 26 वर्ष वह केंद्रीय संसद में रहे व उन्होंने रक्षा, गृह, इस्पात, वित्त, विज्ञान और शिक्षा सरीखे अहम मंत्रालय की कमान भी संभाली। डॉ. मुरली मनोहर जोशी का जन्म बेशक उत्तराखंड में तो नहीं हुआ, लेकिन उनके परिजन अल्मोड़ा के ही रहने वाले थे। डॉ. मुरली मनोहर जोशी मानव संसाधन, गृह राज्य मंत्री और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रहे।

 

बीसी खंडूड़ी सेना में सेवा के बाद गढ़वाल संसदीय सीट से कई बार चुनाव भी जीते और केंद्र में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री भी रहे। बाद वह उत्तराखंड के सीएम भी बने।

बची सिंह रावत अल्मोड़ा सीट पर 4 बार चुनाव जीते और केंद्र में राज्यमंत्री रहे।

वही केंद्रीय राजनीति में हरीश रावत का भी जलवा रहा। वह केंद्रीय जल संसाधन मंत्री भी रहे।

गढ़वाल से सांसद रहे सतपाल महाराज केंद्र में रेल राज्यमंत्री भी रहे। राज्य गठन के बाद भी उत्तराखंड के राजनेताओं का केंद्रीय सत्ता में प्रभाव बरकरार ही रहा।

हरिद्वार से सांसद रहे डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी बने। अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा को भी केंद्र में राज्यमंत्री होने का अवसर भी मिला। वर्तमान में अजय भट्ट केंद्रीय पर्यटन व रक्षा राज्यमंत्री भी हैं।