श्रीनगर की 22 वर्षीय चाय की दुकान चलाने वाली युवती बनी पार्षद, संघर्ष की मिसाल

उत्तराखंड के निकाय चुनाव का परिणाम इस बार बेहद रोचक रहा। जहां देहरादून में 21 साल की युक्ति पार्षद बनीं, वहीं दूसरी ओर श्रीनगर में चाय की दुकान चलाने वाली 22 वर्षीय ज्योति भी पार्षद का चुनाव जीतने में सफल रही हैं।

यहां हम बात कर रहे हैं श्रीनगर गढ़वाल की अंजना रावत की, जो महज 22 साल की उम्र में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पार्षद बनीं। चाय की दुकान चलाने वाली अंजना ने अपनी मेहनत और संघर्ष से एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है। वह एक संघर्ष की मिसाल बन चुकी हैं, जो अपनी कठिन परिस्थितियों को चुनौती देकर सफल हुईं।

चाय की दुकान चला कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाली अंजना ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो तो किसी भी कठिन परिस्थिति को पार किया जा सकता है। उनकी यह जीत केवल पार्षद के रूप में नहीं, बल्कि यह समाज को एक सशक्त संदेश देती है कि कोई भी मुश्किल वक्त आपको आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता।

अंजना की शिक्षा और समाज के तानों को नकारते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखना उनके दृढ़ नायकत्व का बेहतरीन उदाहरण है। राज्य सरकार द्वारा उन्हें तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित करना यह दिखाता है कि उनकी मेहनत और संघर्ष को पहचान मिल रही है। यह जीत न केवल अंजना के लिए, बल्कि हर संघर्षरत व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।