उत्तराखंड: उत्तरी हिमालय की धरती हर साल 200 बार हिली, 27 वर्षों में दर्ज हुए 4200 भूकंप

नैनीताल : उत्तराखंड के उत्तरी हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय हलचलों को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संतोष जोशी के शोध के अनुसार, पिछले 27 वर्षों में क्षेत्र में हर वर्ष औसतन 200 बार भूकंप के झटके भी दर्ज किए गए हैं। इनमें से अधिकतर झटके हल्के थे, लेकिन 2 से 3 बार 4 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंप भी महसूस किए गए।

4200 भूकंप के झटके दर्ज

यह अध्ययन केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रायोजित “एक्टिव टेक्टोनिक्स ऑफ गढ़वाल-कुमाऊं हिमालया” परियोजना के अंतर्गत भी किया गया। 1991 से 2018 के बीच के आंकड़ों के विश्लेषण में सामने आया कि इस अवधि में करीब 4200 भूकंप के झटके भी रिकॉर्ड किए गए। इनमें से अधिकांश की तीव्रता 2 से 4 मैग्नीट्यूड के बीच थी और इनकी गहराई 10 से 20 किलोमीटर के भीतर ही रही।

पश्चिमी नेपाल तक फैली भूकंपीय बेल्ट

शोध में पाया गया कि धारचूला, चमोली, कपकोट, मुनस्यारी, रुद्रप्रयाग व भारत-नेपाल सीमा से सटे पश्चिमी नेपाल तक फैले इस क्षेत्र को भूगर्भ वैज्ञानिक “मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT)” के नाम से भी जानते हैं, जिसे हिमालयन सिस्मिक बेल्ट भी कहा जाता है। यह क्षेत्र लगातार भूकंपीय गतिविधियों की चपेट में भी रहता है।

डॉ. जोशी के अनुसार,

0.2 मैग्नीट्यूड से कम तीव्रता के भूकंप और अधिक होते, लेकिन वाहनों की आवाजाही से होने वाले कंपन के कारण उन्हें आंकड़ों में शामिल ही नहीं किया गया।

सिस्मोग्राफ से निगरानी, 11 स्थानों पर लगे यंत्र

राज्य में भूकंप की निगरानी के लिए 11 स्थानों पर अत्याधुनिक सिस्मोग्राफ मशीनें भी लगाई गई हैं। ये मशीनें निम्नलिखित स्थानों पर स्थापित हैं:

  • मासी (चौखुटिया), देवाल, थराली (चमोली)
  • कपकोट (बागेश्वर), मुनस्यारी, जौलजीबी, पांगला
  • पिथौरागढ़, चंपावत, रानीखेत और नैनीताल

पहले इन स्थानों पर पुरानी तकनीक की मशीनें थीं, जिन्हें अब अपग्रेड कर दिया गया है ताकि भूकंपीय गतिविधियों की सटीक निगरानी भी हो सके।

क्या है खतरे की आशंका?

विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार हलचल कर रही इस भूगर्भीय पट्टी में भविष्य में बड़े भूकंप की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता। ऐसे में वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि भविष्य की आपदा से निपटने के लिए तैयारी व सतर्कता बेहद जरूरी है।