उत्तराखंड पंचायत चुनाव: पहले चरण में प्रवासी मतदाताओं ने निभाई अहम भूमिका, गांव की सरकार बनाने में दिखाई जबरदस्त भागीदारी

देहरादून/रुद्रप्रयाग/चमोली: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों का पहला चरण शांतिपूर्वक संपन्न भी हो गया है। जबकि दूसरे चरण का मतदान अब 28 जुलाई को होगा। इस चुनाव में एक अनोखा दृश्य भी सामने आया—प्रवासी मतदाताओं ने “मेरा गांव, मेरा वोट” की भावना के साथ बड़ी संख्या में वापसी की व गांव की सरकार चुनने में निर्णायक भूमिका भी निभाई।

कोट गांव में उफनते गदेरे को पार कर पहुंचे मतदाता

चमोली जनपद के नारायणबगड़, थराली व देवाल विकासखंडों में हुए मतदान में प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी ने प्रशासन और राजनीतिक दलों दोनों को भी चौंका दिया। कोट गांव में तो मतदाता चमतोली गदेरे के उफान की भी परवाह किए बिना पोलिंग बूथ तक भी पहुंचे। गदेरे पर पुल नहीं होने के बावजूद युवा ग्रामीणों ने बुजुर्गों व महिलाओं को अपने कंधों पर बैठाकर मतदान केंद्र तक भी पहुंचाया।

भावनात्मक जुड़ाव बना बड़ा कारण

स्थानीय लोगों का कहना है कि पंचायत स्तर पर प्रत्याशी व मतदाता के बीच गहरा सामाजिक और पारिवारिक जुड़ाव भी होता है। यही कारण है कि दिल्ली, देहरादून, नोएडा, जयपुर और चंडीगढ़ जैसे शहरों से प्रवासी मतदाता निजी वाहनों व बुक किए गए टेंपो ट्रैवलर से गांव में लौटे।

इन प्रवासियों का झुकाव मुख्य रूप से ग्राम प्रधान पद की ओर भी देखा गया, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इनका असर क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के चुनावी समीकरणों पर भी व्यापक रूप से भी पड़ता है।

रुद्रप्रयाग में भी दिखा प्रवासियों का उत्साह

रुद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि, जखोली व ऊखीमठ विकासखंडों में स्थित 459 पोलिंग बूथों पर मतदान शांतिपूर्ण ढंग से भी हुआ। इसमें कुल 280 ग्राम प्रधान, 103 क्षेत्र पंचायत सदस्य व 18 जिला पंचायत सदस्यों के लिए वोट भी डाले गए।

प्रवासियों ने मतदान में 5% से लेकर 35% तक की हिस्सेदारी भी निभाई। शायद ही कोई ऐसा बूथ रहा हो, जहां प्रवासी मतदाताओं की उपस्थिति भी न रही हो।

प्रवासी बोले: “हम विकास के लिए वोट देने आए”

दिल्ली, गुड़गांव व हरिद्वार से लौटे नीरज, विक्रम, रोहन व अर्जुन सिंह ने बताया कि

वे ग्राम स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार जैसे मुद्दों के लिए वोट देने ही गांव लौटे हैं।

चंडीगढ़ से आए 30 से अधिक प्रवासी मतदाताओं ने एक पोलिंग बूथ पर कहा कि

उनका पहला लक्ष्य ग्राम प्रधान का चुनाव ही था, क्योंकि वही सीधे तौर पर गांव की योजनाओं और सुविधाओं पर प्रभाव भी डालता है।

पूरे राज्य में दिखाई दिया जनभागीदारी का उत्सव

खांकरा, लोली, बीरों, चिनग्वाड़, पाबौ, पीड़ा, बिलोटा, मदोला, गांधीनगर, शिवानंदी, रतूड़ा, कोठियाड़ा, बरसूड़ी, पीपली जैसे दर्जनों गांवों में प्रवासी मतदाताओं ने मतदान में उत्साहपूर्वक भाग भी लिया।

राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, पहले चरण में मतदाताओं का शांतिपूर्ण व सशक्त रुझान लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने वाला भी रहा।