UKSSSC पेपर लीक कांड: अब हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में चलेगी SIT जांच
देहरादून, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक मामले की जांच अब और सख्ती के साथ होगी। उत्तराखंड सरकार ने इस हाई-प्रोफाइल मामले की न्यायिक निगरानी की घोषणा की है और जांच की जिम्मेदारी रिटायर्ड न्यायमूर्ति बीएस वर्मा को सौंपी है।
सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जस्टिस वर्मा अब SIT की जांच प्रक्रिया की निगरानी करेंगे, और उन्हें जरूरत पड़ने पर राज्य के किसी भी जिले का दौरा करने, शिकायतों की सुनवाई करने और एसआईटी को दिशा-निर्देश देने का अधिकार होगा।
SIT की कमान, कौन करेगा जांच?
24 सितंबर को गठित पांच सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) की कमान देहरादून ग्रामीण की पुलिस अधीक्षक जया बलूनी को सौंपी गई है। SIT को पूरे उत्तराखंड में फैले पेपर लीक और नकल गिरोह की गहराई से जांच करने का जिम्मा मिला है।
पेपर लीक कैसे हुआ – जानिए पूरा घटनाक्रम
21 सितंबर को पूरे प्रदेश में UKSSSC की स्नातक स्तरीय परीक्षा आयोजित हुई थी। हरिद्वार के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज, बहादरपुर जट में केंद्रित इस मामले में बड़ा खुलासा तब हुआ, जब पता चला कि परीक्षा केंद्र के कमरा नंबर 9, 17 और 18 में जैमर नहीं लगे थे। मुख्य आरोपी खालिद, जो खुद एक अभ्यर्थी था, इंविजिलेटर से अनुमति लेकर वॉशरूम गया और वहां से पेपर के तीन पन्नों की तस्वीरें खींचीं। इन तस्वीरों को खालिद ने अपनी बहन साबिया को भेजा, जिसने आगे उसे असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को भेजा।
इसके बाद, प्रोफेसर सुमन ने यह जानकारी सीधे पुलिस को न देकर उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार को दे दी, जिन्होंने इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। यहीं से मामला तूल पकड़ गया। खालिद और उसकी बहन साबिया गिरफ्तार।
प्रोफेसर सुमन को उच्च शिक्षा विभाग ने निलंबित किया। परियोजना निदेशक केएन तिवारी, जिन्हें परीक्षा की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई थी, निलंबित। परीक्षा केंद्र पर तैनात दरोगा व एक सिपाही को हरिद्वार एसएसपी द्वारा सस्पेंड किया गया।
अब तक की जांच – सबूत और सबाल
-
पुलिस को अभी तक खालिद का मोबाइल फोन नहीं मिला, जिससे कई तकनीकी राज मिलने की संभावना है।
-
खालिद ने मोबाइल को रीसेट कर दिया था, लेकिन उसकी सीडीआर और फोरेंसिक जांच से अब सुराग की उम्मीद है।
-
SIT अब डंप डेटा, कॉल डिटेल, और सभी संदिग्धों से पूछताछ में जुटी है।
सरकार का रुख: पारदर्शिता और सख्ती
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कहा है कि, “युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”
सरकार ने SIT के साथ-साथ न्यायिक निगरानी की पहल कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि इस बार कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा।
विश्वास पर फिर लगा सवाल
उत्तराखंड में पेपर लीक कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2022 और 2023 में भी कई परीक्षाएं लीक हुई थीं। हर बार नकल माफिया, कोचिंग सेंटर, और सरकारी तंत्र के भीतर कुछ लोगों की मिलीभगत उजागर हुई। इससे न केवल आयोग की विश्वसनीयता, बल्कि हजारों युवाओं के भविष्य पर भी सवाल खड़े हुए हैं। उत्तराखंड सरकार और जांच एजेंसियों के सामने अब चुनौती सिर्फ आरोपियों को पकड़ने की नहीं, बल्कि भरोसा बहाल करने की भी है। न्यायिक निगरानी में चल रही SIT जांच से युवाओं को उम्मीद है कि इस बार कोई दोषी नहीं बचेगा और परीक्षा व्यवस्था में सुधार की ठोस नींव रखी जाएगी।