मानसून में बढ़ा ट्यूबरकुलर मैनिन्जाइटिस का खतरा, दून अस्पताल में रोजाना सामने आ रहे 7-8 नए मरीज
देहरादून: बारिश के मौसम में बढ़ी नमी के कारण एक खतरनाक संक्रमण लोगों को तेजी से अपनी चपेट में भी ले रहा है। दून अस्पताल में हर दिन ट्यूबरकुलर मैनिन्जाइटिस के 7 से 8 नए मरीज सामने भी आ रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार, यह संक्रमण शरीर में पैरासाइट बैक्टीरिया के माध्यम से ही फैलता है, जो हवा या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से शरीर में प्रवेश भी करता है और रक्त धमनियों के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचकर चेतना को निष्क्रिय भी कर देता है।
पर्वतीय क्षेत्रों में ज्यादा मामले, नमी बनी कारण
दून अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. विजय भंडारी के अनुसार,
इस संक्रमण के सर्वाधिक मामले पर्वतीय क्षेत्रों से ही आ रहे हैं, जहां मैदानी क्षेत्रों की तुलना में अधिक वर्षा और अधिक आद्रता भी होती है। नमी के कारण वातावरण में पैरासाइट बैक्टीरिया, वायरस व फंगस तेजी से पनपते हैं, जिससे यह रोग भी फैल रहा है।
संक्रमण का तरीका और लक्षण
- यह बैक्टीरिया हवा या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से शरीर में भी प्रवेश करता है।
- शुरुआती लक्षणों में सिर दर्द, बुखार व उल्टी देखने को मिलती है।
- यदि यह संक्रमण 15-20 दिन तक सक्रिय रहता है तो मस्तिष्क की चेतना को प्रभावित भी कर देता है।
- गंभीर स्थिति में मरीज कोमा जैसी स्थिति में पहुंच सकता है।
कान व नाक से भी पहुंचता है मस्तिष्क तक संक्रमण
डॉ. भंडारी ने बताया कि
यह बैक्टीरिया कान में ओटाइटिस जैसी बीमारी से ही शुरुआत करता है और लंबे समय तक संक्रमण बने रहने पर यह नाक व कान के माध्यम से मस्तिष्क तक भी पहुंच जाता है, जिससे ट्यूबरकुलर मैनिन्जाइटिस हो जाता है।
क्या है पैरासाइट बैक्टीरिया?
- यह बैक्टीरिया दूसरे जीवों के शरीर पर या अंदर रहकर भोजन प्राप्त भी करते हैं।
- यह परजीवी शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर भी करते हैं।
- कमजोर इम्यूनिटी के कारण शरीर कई तरह के गंभीर संक्रमणों का शिकार भी हो जाता है।
बचाव के जरूरी उपाय:
- मास्क का नियमित इस्तेमाल करें
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें
- आद्रता वाले स्थानों पर जाने से परहेज करें
डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि मानसून के इस मौसम में विशेष सावधानी बरतें व किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल में जांच कराएं, क्योंकि यह संक्रमण समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा तक साबित हो सकता है।