उत्तराखंड में बच्चों के अधिकार और शिक्षा पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सामाजिक न्याय पर हुआ मंथन
देहरादून — उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा मंगलवार को संस्कृत भवन, देहरादून में “शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009” के प्रभावी क्रियान्वयन, बच्चों की सुरक्षा व सामाजिक न्याय की स्थापना को लेकर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य था यह सुनिश्चित करना कि प्रदेश का हर बच्चा एक सुरक्षित, समावेशी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके।
कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दीप प्रज्वलन कर किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा,
“गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ही बच्चों के उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य की नींव रखती है।”
मुख्य बातें और विशेषताएं:
आयोग की अध्यक्षा डॉ. गीता खन्ना ने शिक्षा को सामाजिक न्याय का मूल आधार बताते हुए कहा कि समान अवसरों के बिना न्याय अधूरा ही है। उन्होंने पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय चेतना, साइबर सुरक्षा, नशामुक्ति व सड़क सुरक्षा जैसे जीवनोपयोगी विषयों को भी शामिल करने की आवश्यकता जताई।
गंभीर चिंताएं:
डॉ. खन्ना ने चयन प्रक्रियाओं में भेदभाव, अवैध कोचिंग संस्थानों की बढ़ती संख्या, कक्षा 9 और 11 में अनुचित रूप से छात्रों को फेल करने की प्रवृत्ति व स्कूलों के आस-पास नशे की वस्तुओं की उपलब्धता पर चिंता जाहिर की और सख्त कार्रवाई की मांग भी की।
तकनीकी सत्रों की झलक:
प्रथम सत्र:
शिक्षा विशेषज्ञों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, समावेशी शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण व संस्थागत उत्तरदायित्वों पर गहन चर्चा भी की।
द्वितीय सत्र:
“शैक्षणिक प्रदर्शन बनाम समग्र विकास” विषय पर वक्ताओं ने कहा कि केवल अंकों के आधार पर मूल्यांकन बच्चों के मानसिक, सामाजिक व नैतिक विकास को बाधित भी करता है। शिक्षा का उद्देश्य समग्र व्यक्तित्व निर्माण भी होना चाहिए।
सामाजिक न्याय की बात:
समापन सत्र में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने “शिक्षा के अधिकार में चुनौतियाँ” विषय पर चर्चा की अध्यक्षता करते हुए विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले बच्चों को मुख्यधारा में लाने पर भी बल दिया। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को 1 सप्ताह के भीतर विशेष बैठक कर उठाए गए मुद्दों के समाधान की बात भी कही।
बच्चों का सम्मान और राज्य का संकल्प:
कार्यक्रम के दौरान राज्य के विभिन्न विद्यालयों के उन विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर उदाहरण भी प्रस्तुत किया।
डॉ. रावत ने आश्वस्त किया कि कार्यशाला में मिले सभी सुझावों को नीति निर्धारण में प्राथमिकता भी दी जाएगी और बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा की गुणवत्ता व सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस निर्णय भी लिए जाएंगे।
उपस्थित अतिथि:
- डॉ. शिव प्रसाद बरनवाल – सचिव, बाल अधिकार संरक्षण आयोग
- एस.के. सिंह – अनु सचिव
- शिक्षा विभाग, बाल संरक्षण और सामाजिक न्याय से जुड़े अनेक अधिकारी व विशेषज्ञ
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