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उत्तरकाशी। खीर गंगा में आई भीषण आपदा को एक माह बीत चुका है, लेकिन धराली गांव अब भी उस विनाशकारी पल की चोट ही झेल रहा है। चारों ओर फैला मलबा अब भी लोगों को 5 अगस्त की भयावह रात की याद ही दिला रहा है।
प्रशासन की ओर से बिजली, पानी व सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं बहाल कर दी गई हैं, साथ ही रसद सामग्री भी पहुंचाई जा रही है। लेकिन आपदा प्रभावित ग्रामीणों की दिनचर्या अब भी वैसी है। हर्षिल क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश उनके घावों को और भी गहरा कर रही है। गांव में सन्नाटा भी पसर चुका है।
5 अगस्त को खीर गंगा में मलबे व पानी का ऐसा सैलाब आया था जिसने धराली बाजार और आधे गांव को ही तबाह कर दिया। करीब 20–25 फीट ऊंचे मलबे में कई बहुमंजिला इमारतें भी दब गईं और 62 लोगों की जान ही चली गई। इनमें से 8 मृतक धराली गांव के थे। वहीं हर्षिल के तेलगाड़ में आई एक अन्य आपदा में सेना के 9 जवान भी लापता हो गए थे।
आपदा के बाद मलबे से केवल 2 शव ही बरामद हो सके—धराली से 1 युवक व हर्षिल से लापता 1 जवान का शव। टूटे पुल व क्षतिग्रस्त सड़कों के चलते प्रशासन को राहत कार्य शुरू करने में 2 दिन लग गए, हालांकि एसडीआरएफ व सेना की टीमें पहले दिन से ही मौके पर भी जुट गई थीं।
लगभग 5 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद ही धराली व हर्षिल क्षेत्र में बिजली व नेटवर्क बहाल हो पाया। इसके बाद हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री भी भेजी गई और 20 दिन बाद गंगोत्री हाईवे पर छोटे वाहनों की आवाजाही शुरू होने से राहत कार्य तेज भी हुआ।
आज भी धराली में हालात सामान्य ही नहीं हो पाए हैं। जिनके घर उजड़ गए हैं वे दूसरों के घरों में ही शरण लिए हुए हैं और सामूहिक भोजन मंदिर प्रांगण में ही जारी है। स्थानीय निवासी संजय पंवार के मुताबिक, गांव में अब सन्नाटा ही है, होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों को अब तक कोई मदद ही नहीं मिली और धराली के लिए घोषित विशेष पैकेज भी कागजों में ही अटका हुआ है।
