पंचायत चुनाव की तैयारियों पर उठे सवाल, आरक्षण विवाद पर आज हाईकोर्ट में अहम सुनवाई

उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर संकट: आरक्षण में गड़बड़ी से हाईकोर्ट की रोक, आज अहम सुनवाई

देहरादून: उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव शुरू से ही विवादों व अनियमितताओं के घेरे में रहे हैं। पहले तो चुनाव समय पर नहीं हो पाए, और अब आरक्षण प्रक्रिया में गड़बड़ी के चलते हाईकोर्ट ने चुनाव पर अस्थायी रोक ही लगा दी है।

राज्य सरकार पर आरोप है कि उसने गजट अधिसूचना जारी किए बिना आरक्षण लागू ही कर दिया, जो संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन भी माना जा रहा है। इस मामले में आज (मंगलवार) को हाईकोर्ट में एक और याचिका पर सुनवाई भी होनी है, जिससे पूरे चुनावी भविष्य की दिशा तय भी हो सकती है।

पुराने रोस्टर को हटाकर नया तैयार, मूल धारणा की अनदेखी: पंचायत संगठन

उत्तराखंड पंचायत संगठन के संयोजक जगत मार्तोलिया ने आरोप लगाया कि

आरक्षण लागू करने में संविधान की मूल भावना की अनदेखी भी की गई है। उनका कहना है कि रोस्टर व्यवस्था इस तरह बननी चाहिए थी कि इसका लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, लेकिन सरकार ने पुराना रोस्टर हटाकर मनमाफिक नया रोस्टर ही लागू कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली बार है जब चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद हाईकोर्ट ने रोक भी लगाई है, जो सरकार की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल भी खड़े करता है।

प्रशासनिक भ्रम और दोहरी व्यवस्था

भाकपा माले के प्रदेश सचिव इंद्रेश मैखुरी ने भी सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि

पहले शासन ने प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को पंचायत प्रशासक बनाने का आदेश दिया, लेकिन कुछ ही समय बाद इसे बदलकर निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासक नियुक्त भी कर दिया गया, जो प्रक्रिया के विपरीत है।

वहीं याचिकाकर्ता मुरारी लाल खंडेवाल का कहना है कि

सरकार ने आरक्षण के चक्रीय क्रम को तोड़ दिया है और अलग-अलग 2 तरह की व्यवस्था बना दी है, जिससे न्याय व समानता की अवधारणा को आघात पहुंचा है।

तीन हजार से अधिक आपत्तियां, समाधान अधूरा

सूत्रों के अनुसार, आरक्षण की अधिसूचना के बाद जिला प्रशासन के पास 3,000 से अधिक आपत्तियां भी प्राप्त हुई हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश का संतोषजनक समाधान नहीं किया गया, जिससे हालात और भी ज्यादा पेचीदा हो गए हैं।

सचिव पंचायतीराज का बयान

पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार ने कहा कि,

“आरक्षण नियमावली से संबंधित गजट अधिसूचना की प्रक्रिया चल रही है, जिसे शीघ्र जारी कर हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत भी किया जाएगा। हमारा प्रयास है कि अदालत को स्थिति से अवगत कराकर आवश्यक मार्गदर्शन भी प्राप्त किया जाए।”

आरक्षण फिर से लागू करना पड़ सकता है

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हाईकोर्ट से चुनाव पर लगी रोक हट भी जाती है, तब भी आरक्षण प्रक्रिया को दोबारा लागू करना पड़ सकता है, क्योंकि मौजूदा प्रक्रिया में कई कानूनी व प्रशासनिक खामियां उजागर भी हो चुकी हैं।