पौड़ी में गुलदार का आतंक: 4 साल की बच्ची को घर से उठाकर बनाया निवाला, गांव में दहशत का माहौल

पौड़ी गढ़वाल, 13 सितंबर 2025:
पौड़ी जिले में गुलदार के हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा घटना में पोखड़ा रेंज के अंतर्गत श्रीकोट गांव में गुलदार ने एक 4 वर्षीय बालिका को घर से उठा लिया। परिजनों और ग्रामीणों ने रातभर बच्ची की तलाश की, लेकिन अगली सुबह उसका क्षत-विक्षत शव झाड़ियों से बरामद हुआ। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को शोक और डर के माहौल में डुबो दिया है।

घटना का विवरण

12 सितंबर की रात श्रीकोट गांव में उस समय हड़कंप मच गया जब गुलदार ने घर के आंगन से चार साल की मासूम को उठा लिया। परिजनों को जब तक कुछ समझ आता, तब तक गुलदार बच्ची को लेकर जंगल की ओर भाग चुका था। ग्रामीणों ने रातभर जंगल में खोजबीन की, लेकिन सुबह ही बच्ची का शव झाड़ियों में मिला।

वन विभाग की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही डीएफओ पौड़ी जीवन मोहन अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों से मुलाकात की और बताया कि शव का पोस्टमॉर्टम और पंचनामा किया जा चुका है। विभाग ने गांव में दो पिंजरे लगाने और एक ट्रेंकुलाइजिंग टीम तैनात करने की घोषणा की है।
वन विभाग का कहना है कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पूरी सतर्कता बरती जा रही है।

ग्रामीणों में आक्रोश

गांव के लोगों में इस घटना को लेकर भारी गुस्सा है। ग्रामीणों का कहना है कि बीते कुछ समय में गुलदार के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन वन विभाग की ओर से कोई ठोस और स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा है। गांववालों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया

पोखड़ा ब्लॉक के पूर्व ब्लाक प्रमुख सुरेंद्र सिंह रावत ने घटना को “बेहद दुखद और चिंताजनक” बताया। उन्होंने कहा,

“यह हैरान करने वाली बात है कि गुलदार अब घर के अंदर घुसकर बच्चों को निशाना बना रहा है। सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभावी कदम उठाए।”

पिछली घटनाएं भी बनी चिंता का विषय

इससे पहले 23 अगस्त को सतपुली क्षेत्र में गुलदार ने एक नेपाली मूल के तीन वर्षीय बच्चे को झोपड़ी से उठाकर मार डाला था। उस घटना के बाद वन विभाग ने पिंजरे लगाकर एक गुलदार को पकड़ा भी था, लेकिन हालिया घटना से यह साफ हो गया है कि क्षेत्र में गुलदारों की संख्या और सक्रियता अब भी बनी हुई है।

गुलदार के बढ़ते आतंक से ग्रामीण क्षेत्र असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मासूम बच्चों को निशाना बनाना न सिर्फ वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि सरकार की जिम्मेदारी भी बढ़ा देता है। ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब वक्त आ गया है कि वन विभाग त्वरित और स्थायी कदम उठाए।