भारी बारिश से तबाह हुई बागवानी: उत्तराखंड में सेब उत्पादकों को करोड़ों का नुकसान, किसान परेशान
देहरादून | 13 सितंबर 2025 — उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलन ने राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों को मुख्य नगरों से अलग-थलग कर दिया है। इसका सीधा असर किसानों और बागवानी उत्पादकों पर पड़ा है, जिनकी फसलें मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। सबसे ज्यादा नुकसान सेब और नाशपाती की बागवानी को हुआ है।
पहाड़ी क्षेत्रों से कट गए रास्ते, फसलें मंडियों तक नहीं पहुंचीं
राज्य में अगस्त महीने से लगातार हो रही बारिश ने हालात बेहद खराब कर दिए हैं। कई सड़कों पर भूस्खलन और जलभराव की स्थिति बनी हुई है। मार्ग कभी खुलते हैं, कभी बंद हो जाते हैं। इसके कारण:
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किसान अपनी फसल समय पर मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे
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फसल की गुणवत्ता खराब हो रही है
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ट्रांसपोर्ट महंगा हो गया है
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किसानों का मुनाफा लगातार घट रहा है
सेब और नाशपाती की बर्बादी से किसानों में निराशा
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सेब की बेहतर पैदावार हुई थी। किसानों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें अच्छे दाम मिलेंगे, लेकिन रास्ते बंद होने और ट्रांसपोर्ट की दिक्कतों के चलते:
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सेब मंडी तक नहीं पहुंच पाए
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कई जगहों पर सेब डंप होकर खराब हो गया
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निरंजनपुर मंडी में सेब की आपूर्ति में भारी कमी दर्ज की गई
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नाशपाती की बागवानी भी पूरी तरह बर्बाद हो गई
फसलें तो आईं, दाम नहीं मिले
देहरादून की निरंजनपुर मंडी में पहुंचे किसानों ने बताया कि:
“हमने महीनों मेहनत करके सेब उगाया, लेकिन बाजार तक नहीं पहुंचा पाए। जो पहुंचा, वो भी सही दाम नहीं मिला।”
यह स्थिति तब है जब सरकार ने सितंबर के दूसरे सप्ताह तक कई मार्गों को खोलने का दावा किया है।
ट्रांसपोर्ट में दिक्कत, मुनाफा खत्म
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कई क्षेत्रों में बड़े ट्रक नहीं पहुंच पा रहे
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किसान छोटी गाड़ियों से माल भेज रहे, जिससे लागत बढ़ गई
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फल और सब्जियां देर से पहुंचने के कारण गुणवत्ता में गिरावट
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इससे मंडियों में भी खपत घट रही है
कोल्ड स्टोरेज की कमी और सरकारी योजना पर सवाल
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि:
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सरकार ने कोल्ड स्टोरेज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की
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सड़क बंद होने की स्थिति में वैकल्पिक उपायों की योजना नहीं बनाई
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रिवर्स पलायन कर लौटे युवा किसान भी अब हताश हो रहे हैं
उत्तराखंड में सेब उत्पादन की स्थिति
| जिला | क्षेत्र (हेक्टेयर) | उत्पादन (मीट्रिक टन) |
|---|---|---|
| उत्तरकाशी | सर्वाधिक | सबसे ज़्यादा |
| देहरादून (चकराता, कालसी) | प्रमुख क्षेत्र | अच्छी गुणवत्ता |
| चमोली, अल्मोड़ा, नैनीताल | बढ़ते क्षेत्र | मध्यम पैदावार |
कुल क्षेत्रफल: 25,785 हेक्टेयर
कुल उत्पादन: ~62,000 मीट्रिक टन
सरकार कर रही नुकसान का आकलन, लेकिन किसान संतुष्ट नहीं
कृषि और उद्यान विभाग की टीमें अब नुकसान का आकलन कर रही हैं, लेकिन किसान मानते हैं कि:
“सिर्फ आंकलन से कुछ नहीं होगा, हमें तत्काल राहत चाहिए।”
विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य में बागवानी को आपदा प्रबंधन से जोड़ने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति में किसानों को बचाया जा सके।