सावन का पहला सोमवार: भोलेनाथ के जयकारों से गूंजा उत्तराखंड, कमलेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब

श्रीनगर (गढ़वाल), उत्तराखंड – देवभूमि उत्तराखंड आज एक बार फिर भगवान शिव की भक्ति में सराबोर हो गई है। आज सावन माह का पहला सोमवार है, और तड़के से ही शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ भी उमड़ पड़ी है। हर ओर “हर हर महादेव” के जयकारों की गूंज है और भक्त गंगाजल, दूध व बेलपत्र से भगवान शिव का अभिषेक भी कर रहे हैं।

कमलेश्वर महादेव मंदिर बना श्रद्धा का केंद्र

गढ़वाल मंडल के श्रीनगर में स्थित प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर, सावन में श्रद्धा, आराधना व आस्था का प्रमुख केंद्र भी बन गया है।
इस मंदिर को 5 महेश्वर पीठों में से एक भी माना जाता है, और इसे सिद्धपीठ कहा जाता है क्योंकि यहां साधना से सिद्धि भी प्राप्त होती है।

रुद्राभिषेक से लेकर महाआरती तक—सावन में विशेष अनुष्ठान

सावन में मंदिर में विशेष धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • रुद्राभिषेक
  • पंचामृत स्नान
  • गंगाजल और दूध से अभिषेक
  • बेलपत्र अर्पण
  • मंत्रोच्चारण और फल-रस समर्पण

मंदिर के महंत 108 आशुतोष पुरी के अनुसार,

“जो भी भक्त निष्काम भाव से भगवान शिव का अभिषेक करता है, उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता भी मिलती है।”

सावन के प्रत्येक सोमवार को विशेष महाआरती भी होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग भी लेते हैं।

पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

इस मंदिर से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं भी हैं:

  • यही वह स्थान है जहां भगवान श्रीराम ने 108 कमल पुष्प अर्पित कर रुद्राभिषेक भी किया था।
  • यहां भगवान विष्णु ने सहस्त्र कमल अर्पित कर सुदर्शन चक्र भी प्राप्त किया था।
  • श्रीकृष्ण ने यहां संतान प्राप्ति के लिए खड दीपक पूजा भी की थी।
  • आज भी कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी पर निसंतान दंपति यहां संतान की कामना से पूजा भी करते हैं।
  • श्रद्धालु सावन में सवा लाख बेलपत्र अर्पित कर सुख-समृद्धि व संतान प्राप्ति की कामना भी करते हैं।

सावन का आध्यात्मिक संदेश

यह माह समुद्र मंथन के दौरान शिव द्वारा हलाहल विषपान की स्मृति में शिव को समर्पित भी माना जाता है।
कमलेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ पूजा का स्थल नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, भक्ति व मोक्ष की ओर अग्रसर एक आध्यात्मिक केंद्र बन जाता है। यहां की भक्ति-ऊर्जा भक्तों को नई दिशा और जीवन में संतुलन भी प्रदान करती है।

सावन सोमवार की इस विशेष अवसर पर आस्था व श्रद्धा के संगम ने यह साबित कर दिया कि भगवान शिव केवल भाव के भूखे हैं—न कि भव्यता के।
हर हर महादेव!