
बदरीनाथ धाम में फास्टैग से वसूला जाएगा इको टूरिज्म शुल्क, जाम से मिलेगी राहत
बदरीनाथ/देहरादून: चारधाम यात्रा के दौरान बदरीनाथ धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को इस बार स्मार्ट व्यवस्था का लाभ मिलने जा रहा है। नगर पंचायत बदरीनाथ अब यात्रा वाहनों से इको टूरिज्म शुल्क फास्टैग प्रणाली के माध्यम से ही वसूलने की तैयारी कर रही है। इस नई व्यवस्था से न केवल शुल्क वसूली में पारदर्शिता आएगी, बल्कि लंबे समय से यात्रा मार्ग पर लगने वाले जाम की समस्या से भी राहत मिलेगी।
अब तक देवदर्शनी चेकपॉइंट पर यह शुल्क कैश और क्यूआर कोड के जरिए वसूला जाता था, जिससे कई बार वाहनों की लंबी कतारें लग जाती थीं। नगर पंचायत के अनुसार, फास्टैग सिस्टम लागू होने के बाद यह प्रक्रिया स्वचालित हो जाएगी और वाहनों को बिना रुके शुल्क अदा करने की सुविधा भी मिलेगी।
प्रति दिन 1000 से अधिक वाहनों की आवाजाही
यात्राकाल में प्रतिदिन बदरीनाथ धाम में 1000 से अधिक छोटे-बड़े वाहन पहुंचते हैं। नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित के अनुसार, बसों से 100 रुपये, जबकि छोटे वाहनों से 70 रुपये इको पर्यटक शुल्क वसूला जाता है। यह राशि अब सीधे फास्टैग खाते से काट ली जाएगी।
फास्टैग प्रणाली को लागू करने के लिए टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और अधिकारियों को उम्मीद है कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पूर्व यह व्यवस्था पूरी तरह से क्रियान्वित भी हो जाएगी।
हेलीकॉप्टर सेवाओं पर मैनुअल शुल्क व्यवस्था यथावत
धाम में संचालित हेलीकॉप्टर सेवाओं से इको टूरिज्म शुल्क मैनुअल पद्धति से ही लिया जाएगा। प्रति हेलीकॉप्टर 1000 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। अधिशासी अधिकारी ने बताया कि फिलहाल हेली सेवा संचालकों के लिए फास्टैग जैसी कोई तकनीकी व्यवस्था प्रस्तावित नहीं है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए उपयोग होगा शुल्क
नगर पंचायत द्वारा वसूले जाने वाले इस शुल्क का उपयोग बदरीनाथ धाम और माणा गांव क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में किया जाता है। यात्राकाल के दौरान एकत्रित होने वाले टनों कूड़े-कचरे के निस्तारण, सफाई व वृक्षारोपण जैसे कार्य इसी फंड से संचालित किए जाते हैं।
प्रशासनिक तैयारियां अंतिम चरण में
ज्योतिर्मठ के उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि इको शुल्क की फास्टैग वसूली प्रणाली को जल्द ही अमल में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ बदरीनाथ क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगी।