देशभक्ति के नाम पर साइबर ठगी: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद फर्जी अकाउंट में धन देने की अपील, साइबर पुलिस का अलर्ट
देहरादून: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद देशभर में उमड़े राष्ट्रभक्ति के जज्बे को अब साइबर ठग अपना हथियार भी बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर तेजी से एक फर्जी संदेश भी वायरल हो रहा है, जिसमें भारतीय सेना को आर्थिक रूप से मजबूत करने के नाम पर एक बैंक खाते में धनराशि भी जमा करने की अपील की जा रही है। संदेश में दावा किया गया है कि यह पहल फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार की सलाह पर केंद्र सरकार द्वारा ही की गई है और इसे कैबिनेट से मंजूरी भी मिल चुकी है।
हालांकि, उत्तराखंड साइबर पुलिस ने इस दावे को पूरी तरह से फर्जी व भ्रामक करार देते हुए लोगों से ऐसे संदेशों से सतर्क रहने की अपील भी की है।
क्या है फर्जी संदेश में?
संदेश में लिखा गया है कि अक्षय कुमार ने सरकार को सेना के कल्याण व शहीदों के परिजनों की मदद के लिए एक बैंक खाता खोलने की सलाह भी दी थी। दावा किया गया है कि सरकार ने यह सुझाव मानते हुए कैनरा बैंक में एक खाता भी खोल दिया है।
मैसेज में भावनात्मक गणित जोड़ते हुए कहा गया है कि अगर देश की 130 करोड़ आबादी में से 70% लोग रोज़ाना ₹1 भी जमा करें, तो हर दिन ₹3,000 करोड़ व सालभर में ₹36,000 करोड़ इकट्ठा भी होंगे, जिससे हथियार भी खरीदे जाएंगे।
लेकिन क्या है सच्चाई?
- सरकार या सेना की ओर से ऐसा कोई खाता नंबर या अपील जारी नहीं की गई है।
- न तो अक्षय कुमार ने इस तरह की कोई सार्वजनिक घोषणा की है और न ही कैबिनेट में ऐसा कोई निर्णय हुआ है।
- यह पूरा संदेश एक सुनियोजित साइबर ठगी का हिस्सा है, जो लोगों की देशभक्ति की भावना का गलत इस्तेमाल कर रहा है।
उत्तराखंड साइबर पुलिस का अलर्ट
राज्य की साइबर पुलिस ने बताया कि ऐसी फर्जी अपीलों को फैलाकर ठग जनता से करोड़ों रुपये की ठगी भी कर सकते हैं।
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि जनता को ऐसे मैसेज न सिर्फ अनदेखा करने चाहिए, बल्कि उन्हें आगे शेयर करने से भी बचना भी चाहिए। जल्द ही इस मामले में एक औपचारिक एडवाइजरी भी जारी की जाएगी।
सतर्क रहें, दूसरों को भी सावधान करें:
- कोई भी सरकारी खाता या क्यूआर कोड सेना या रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट या प्रेस विज्ञप्ति के बिना मान्य नहीं होता।
- ऐसा कोई भी मैसेज मिलने पर तत्काल स्थानीय पुलिस या साइबर हेल्पलाइन को जानकारी दें।
- किसी भी क्यूआर कोड, खाता नंबर या मोबाइल नंबर पर धनराशि ट्रांसफर न करें।
- AI तकनीक से बनाए गए फर्जी वीडियो या संदेशों पर भी विश्वास न करें।
- अपने परिवार और मित्रों को भी जागरूक करें।
संदर्भ: कोरोना काल में भी हुई थी ऐसी ठगी
कोविड-19 महामारी के दौरान भी इसी तरह के संदेशों के जरिए लोगों से वैक्सीन, अस्पताल सुविधा व राहत कार्यों के नाम पर मदद मांगी गई थी। उस वक्त भी सरकार ने किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत खाता या मोबाइल नंबर भी जारी नहीं किया था।
देश के प्रति प्रेम और सहयोग की भावना सराहनीय है, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल किसी भी अपुष्ट जानकारी के आधार पर धन भेजना खतरनाक हो सकता है। सचेत रहें, सतर्क रहें, और देश की सुरक्षा के नाम पर फैल रहे साइबर जाल में न फंसें।