
दिग्गजों के गढ़ में हार का सामना करने वाली भाजपा: तीन जीत के बाद चौथी बार सत्ता से बाहर, चर्चा का विषय
किशन और बिशन की जोड़ी का डीडीहाट में भाजपा को न लगा सका लाभ, कांग्रेस ने 15 साल बाद मारी जबरदस्त जीत
डीडीहाट में हमेशा चर्चाओं में रही किशन भंडारी और बिशन सिंह चुफाल की जोड़ी इस बार भाजपा को नगर निकाय चुनाव में जीत दिलाने में सफल नहीं हो सकी। जबकि कांग्रेस ने 15 साल का सूखा समाप्त करते हुए अप्रत्याशित जीत दर्ज की है। यह जोड़ी, जो लंबे समय तक कट्टर प्रतिद्वंद्वी रही थी, इस बार एक साथ खड़ी हुई थी और इसे भाजपा के लिए निर्णायक बढ़त माना जा रहा था, लेकिन अंततः जनता ने कांग्रेस को जीत दिलाई। 35 साल के चुनावी इतिहास में यह दूसरा मौका है जब कांग्रेस को डीडीहाट नगर की सत्ता तक पहुंचने का अवसर मिला है।
किशन भंडारी, जो पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं, और बिशन सिंह चुफाल, जो छह बार विधायक रहे हैं, की जोड़ी 2017 के विधानसभा चुनाव में अलग हो गई थी। तब किशन भंडारी ने बिशन सिंह के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। इसके बाद, दोनों की राहें अलग हो गईं और एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी बन गए थे। हालांकि, इस निकाय चुनाव में दोनों फिर से एक मंच पर आए और पार्टी के पक्ष में खड़े हुए, लेकिन उनकी संयुक्त ताकत भी भाजपा के लिए काम नहीं आई।
कांग्रेस ने इस बार सभी को चौंकाते हुए भाजपा को हराकर नगर निकाय की सत्ता पर कब्जा किया। 2003 में कांग्रेस को यहां सत्ता का अवसर मिला था, लेकिन उसके बाद से लगातार भाजपा का कब्जा था। इस बार भाजपा की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं, और कांग्रेस ने 15 साल के बाद फिर से नगर की सत्ता हासिल की।
कांग्रेस और भाजपा का चुनावी इतिहास
डीडीहाट निकाय का गठन 1976 में हुआ था। 1989 में हुए पहले चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की। 1997 में हुए चुनाव में जनता ने दोनों प्रमुख दलों को नकारते हुए निर्दलीय उम्मीदवार को चुना। 2003 में कांग्रेस को नगर अध्यक्ष की कुर्सी मिली, लेकिन 2008 के चुनाव में भाजपा ने सत्ता वापस ले ली, और तब से लगातार भाजपा का ही कब्जा रहा। इस बार भी भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन जनता ने कांग्रेस को चुनते हुए कमल के फूल को नकार दिया।