बदला-बदला नजर आ रहा है बदरीनाथ धाम, मास्टर प्लान के तहत तीव्र गति से हो रहा विकास कार्य

बदरीनाथ : इस वर्ष बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बदरीनाथ मंदिर पहले से बिल्कुल अलग व खुला-खुला भी दिखाई देगा। बदरीनाथ मास्टर प्लान के अंतर्गत धाम का व्यापक रूप से कायाकल्प भी किया जा रहा है। निर्माण कार्यों और भवन ध्वस्तीकरण के चलते धाम की रूपरेखा भी पूरी तरह बदल चुकी है।

मास्टर प्लान के दूसरे चरण के तहत मंदिर परिसर व बाजार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्य भी चल रहे हैं। अराइवल प्लाजा अब अपने अंतिम चरण में भी है, जहां पर नक्काशीदार पत्थर व लकड़ी की सजावट से इसे भव्य स्वरूप भी दिया जा रहा है। वहीं बदरीश झील और शेषनेत्र झील के आसपास आकर्षक पत्थरों की बिछाई व नई लाइटिंग से सौंदर्यीकरण भी किया गया है।

मंदिर के आसपास से हटाए गए भवन, दर्शकों के लिए खुला दृश्य

बदरीनाथ मंदिर के लगभग 75 मीटर दायरे में स्थित भवनों को ध्वस्त भी किया गया है, जिससे मंदिर अब दूर से ही खुला और भव्य दिखाई दे रहा है। दर्शन पंक्ति के दोनों ओर की पुरानी संरचनाओं को पूरी तरह हटा भी दिया गया है। तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए ‘देव दर्शनी’ नामक स्थान पर एक विशेष व्यू प्वाइंट भी तैयार किया जा रहा है, जहां से यात्री मंदिर और प्राकृतिक सौंदर्य को एक साथ ही निहार सकेंगे।

यहां एक विशाल स्वागत द्वार (गेट) भी बनाया जा रहा है, जो धाम की शोभा को और भी बढ़ाएगा।

रिवर फ्रंट निर्माण भी जारी, अलकनंदा का रुख बदलने से चिंता

बदरीनाथ क्षेत्र में अलकनंदा नदी के दोनों ओर रिवर फ्रंट का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। पीआईयू लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता योगेश मनराल के अनुसार, अधिकतर कार्य बरसात से पहले ही पूरे कर लिए जाएंगे। इसके लिए लगभग 400 मजदूर कार्य में जुटे हुए हैं।

हालांकि निर्माण कार्यों के कारण अलकनंदा का प्रवाह प्रभावित भी हुआ है। नदी में फैले मलबे के कारण उसका रुख गांधी घाट और ब्रह्मकपाल की ओर मुड़ गया है। स्थानीय लोगों और तीर्थ पुरोहितों की चिंता है कि यदि मलबा जल्द नहीं हटाया गया, तो बरसात में नदी का पानी ब्रह्मकपाल से तप्तकुंड तक भी पहुंच सकता है।