देहरादून में बादल फटने से तबाही, मजाडा गांव में कई घर जमींदोज
रात एक बजे और फिर चार बजे दो बार फटा बादल, ग्रामीणों ने सीटियां बजाकर बचाई जानें
देहरादून,
देहरादून जिले के सहस्रधारा क्षेत्र से पांच किमी ऊपर स्थित मजाडा गांव में सोमवार देर रात दो बार बादल फटने की घटना से भारी तबाही मच गई। पहली बार रात करीब एक बजे और फिर तड़के चार बजे बादल फटा, जिससे गांव में अफरातफरी मच गई। ग्रामीणों ने सीटियां बजाकर और टॉर्च की रोशनी से एक-दूसरे को जगाया और सुरक्षित स्थान की ओर रवाना हुए।
आपदा की यह भयावह रात मजाडा गांव के दीपू और जामा कभी नहीं भूल पाएंगे। उन्होंने बताया कि रात को गहरी नींद में सोए हुए थे, तभी तेज आवाज और घर हिलने से नींद टूटी। जब बाहर निकले तो हर तरफ चीख-पुकार मची थी और पानी का सैलाब उमड़ पड़ा था।
सेकंड वेव में बह गया घर
जामा ने बताया कि करीब साढ़े चार बजे वे अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ घर छोड़कर निकल गए। “केवल 15 मिनट बाद हमारा पूरा घर बह गया,” उन्होंने बताया, “अगर हम कुछ देर और रुकते, तो शायद आज जिंदा न होते।”
दीपू और जामा दोनों आपदा के बाद से अपने परिवार के साथ सुरक्षित स्थान की तलाश में हैं। उन्होंने बताया कि इस गांव में कभी ऐसा मंजर देखने को नहीं मिला। अब गांव का नक्शा ही बदल गया है।
सामूहिक चेतावनी बनी जीवन रक्षक
ग्रामीणों के मुताबिक, जैसे ही पहली बार बादल फटा, लोगों ने तत्काल सीटियां बजाना और टॉर्च जलाना शुरू कर दिया, ताकि सभी को नींद से जगाया जा सके और एक जगह इकट्ठा किया जा सके। यही सामूहिक प्रयास कई जानों के लिए जीवन रक्षक साबित हुआ।
कई अब भी मलबे में दबे होने की आशंका
आपदा के बाद गांव में भारी तबाही का मंजर है। मजाडा से आए लोगों ने बताया कि कई पड़ोसी लापता हैं और उनके मलबे में दबे होने की आशंका है। दशकों से साथ रहने वाले लोग एक-दूसरे को खोज नहीं पा रहे हैं।
“हमने बड़ी मेहनत से अपने घर बनाए थे, सब कुछ तबाह हो गया,” एक बुजुर्ग ग्रामीण ने रोते हुए कहा।
सरकारी प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल प्रशासन की ओर से बचाव एवं राहत कार्य जारी है, लेकिन स्थानीय लोग प्रशासन से त्वरित मदद और पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।