कीर्तिनगर को मिला पैराग्लाइडिंग साइट की मंजूरी, देवप्रयाग में एडवेंचर टूरिज्म को मिलेगी नई उड़ान
उत्तराखंड राज्य में साहसिक पर्यटन (Adventure Tourism) को बढ़ावा देने के लिए लगातार नए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि सामने आई है। टिहरी जिले की देवप्रयाग विधानसभा के अंतर्गत आने वाले कीर्तिनगर क्षेत्र में एक नई पैराग्लाइडिंग साइट को मंजूरी दी गई है।
यह साइट अब जल्द ही रोमांचप्रिय पर्यटकों के लिए उड़ान भरने का नया ठिकाना बन जाएगी।
बागसैंण पैराग्लाइडिंग साइट को मिली मंजूरी
कीर्तिनगर तहसील के बागसैंण गांव में स्थित इस पैराग्लाइडिंग साइट को तमाम तकनीकी परीक्षणों और निरीक्षणों के बाद 11 सितंबर 2025 को आधिकारिक मंजूरी दी गई है। इससे पहले, 5 अप्रैल 2025 को पैराग्लाइडिंग टेक्निकल कमेटी ने इस स्थल का स्थल निरीक्षण किया था।
साइट का विवरण:
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स्थान: कीर्तिनगर तहसील, टिहरी गढ़वाल
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टेक-ऑफ एल्टिट्यूड: 2,055 मीटर (समुद्र तल से)
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कीर्तिनगर मुख्यालय से दूरी: 28 किमी सड़क मार्ग + 1 किमी पैदल
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लैंडिंग ज़ोन: बग्स एंड स्टेडियम (कीर्तिनगर से लगभग 22 किमी)
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टेस्ट उड़ान की अवधि: लगभग 7 मिनट
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हवा की स्पीड: 10 से 12 किमी/घंटा (टेक ऑफ के समय)
सफल टेस्ट फ्लाइट और सुरक्षित लैंडिंग
पर्यटन विभाग की तकनीकी कमेटी के निरीक्षण के दौरान अनुभवी पैराग्लाइडिंग पायलट तानाजी ने साइट से सफल टेस्ट फ्लाइट भरी। उड़ान के दौरान न तो किसी तरह की मौसम संबंधी रुकावट आई और न ही हवा की दिशा में कोई बाधा बनी। लैंडिंग भी पूरी तरह से सुरक्षित और नियंत्रित रही।
स्थानीय विधायक विनोद कंडारी का बयान
देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी ने इस उपलब्धि पर उत्तराखंड सरकार और पर्यटन विभाग का आभार जताया और कहा:
“यह हमारी विधानसभा क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।”
उत्तराखंड में पैराग्लाइडिंग के अन्य प्रमुख स्थल:
उत्तराखंड पहले से ही देशभर में पैराग्लाइडिंग प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन है। यहां के प्रमुख पैराग्लाइडिंग हॉटस्पॉट्स में शामिल हैं:
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नैनीताल
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भीमताल
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मसूरी
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टिहरी झील
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पौड़ी
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बागेश्वर
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चंपावत
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लोहाघाट
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मोरी
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कोटाबाग
अब कीर्तिनगर भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है।
एडवेंचर टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
टिहरी जिले में यह नया पैराग्लाइडिंग स्पॉट न केवल पर्यटकों को रोमांचक अनुभव देगा, बल्कि ग्रामीण पर्यटन, स्थानीय हस्तशिल्प और होमस्टे आधारित आजीविका को भी बल मिलेगा। सरकार ने एडवेंचर कंपनियों से आवेदन आमंत्रित करना भी शुरू कर दिया है, जिससे इस परियोजना को जल्द धरातल पर उतारा जा सके।