उत्तरकाशी: सुरंग का मलबा आबादी के ऊपर बना खतरा, तिलाड़ी रोड पर डंपिंग से बढ़ा भू-स्खलन का खतरा
उत्तरकाशी। निर्माणाधीन सिलक्यारा–पोलगांव सुरंग का मलबा बड़कोट पालिका क्षेत्र की तिलाड़ी सड़क के संवेदनशील उपराड़ी गदेरे के मुहाने पर डंप किए जाने से स्थानीय आबादी पर एक बड़ा खतरा भी मंडराने लगा है। इस बेतरतीब डंपिंग से वार्ड-6 व वार्ड-7 के भद्री मोहल्ला और उपराड़ी गांव में भू-स्खलन व भू-धंसाव की आशंका भी बढ़ गई है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि मानसून सीजन में सुरक्षात्मक नियमों को पूरी तरह नजरअंदाज कर सुरंग का मलबा रात के समय लगातार ही डाला जा रहा है। जबकि यह इलाका पहले से ही भूगर्भीय दृष्टि से अति संवेदनशील भी घोषित है। भूवैज्ञानिक जीडी प्रसाद भी यहां लगातार भूमि धंसाव (सिंकिंग) की पुष्टि भी कर चुके हैं।
तेज बारिश से अवरुद्ध हो रही निकासी
बरसात के कारण उपराड़ी गदेरे का पानी अब मलबे के कारण ही रुक रहा है और भारी मात्रा में मलबे के साथ बहकर सीधे यमुना नदी में ही जा रहा है। इसी का नतीजा है कि यमुना का तेज कटाव अब लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस तक भी पहुंच चुका है।
स्थानीय निवासी सोहन गैरोला, शैलेन्द्र जुयाल व धनवीर रावत ने बताया कि लगातार डंपिंग के कारण उनके आवासीय भवनों को कटाव और धंसाव का खतरा भी पैदा हो गया है। उन्होंने जल्द सुरक्षात्मक कार्य शुरू करने की मांग भी की है। लोगों का कहना है कि पिछले 2 वर्ष से हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम ही नहीं उठाया गया।
प्रशासन ने जांच के दिए निर्देश
नायब तहसीलदार खजान असवाल ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी और जरूरी कार्रवाई भी की जाएगी। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तुरंत मलबा डंपिंग पर रोक नहीं लगी तो यह क्षेत्र भविष्य में बड़ी आपदा का कारण भी बन सकता है।
गौरतलब है कि पूरे उत्तराखंड में इस समय मानसूनी बारिश का कहर जारी ही है। कई नदियां उफान पर हैं और भूस्खलन की घटनाएं लगातार ही हो रही हैं। हर्षिल व धराली क्षेत्र में भी हाल ही में आई आपदा के बाद रेस्क्यू व राहत कार्य जारी हैं।