उत्तराखंड के 942 स्कूल भवन जर्जर, बरसात में बच्चों की जान पर खतरा
गर्मी की छुट्टियों के बाद खुले स्कूल, लेकिन कई भवनों में टपकती छतें और भूस्खलन का डर
देहरादून: उत्तराखंड में आज मंगलवार से स्कूल दोबारा खुल गए हैं, लेकिन प्रदेश के 942 स्कूल भवनों की जर्जर हालत ने छात्र-छात्राओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। कुछ भवनों की छतें टपक रही हैं, तो कई में पानी भी भर रहा है। सुरक्षा दीवारों की कमी के कारण बरसात में भूस्खलन का खतरा भी बना हुआ है।
बच्चों की सुरक्षा खतरे में
प्राथमिक शिक्षक संघ देहरादून के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र रावत ने बताया कि
जिले के रायपुर, विकासनगर, चकराता व कालसी क्षेत्र के कई स्कूल खतरनाक स्थिति में हैं। वहीं, नगर क्षेत्र के कुछ स्कूल परिसरों में जलभराव की समस्या भी बनी हुई है।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने कहा कि
भारी बारिश के दौरान जलभराव व भूस्खलन से बच्चों की जान को खतरा भी बना रहता है। संगठन लंबे समय से यह मांग कर रहा है कि जर्जर भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण भी कराया जाए।
सुरक्षा दीवार न होने से पहाड़ी क्षेत्रों में खतरा ज्यादा
विनोद थापा ने सुझाव दिया है कि
गर्मियों की छुट्टियों को जुलाई तक बढ़ाया जाए, ताकि बरसात के महीनों में बच्चों व शिक्षकों को स्कूल आने-जाने में कठिनाई न हो। उन्होंने बताया कि मैदानी क्षेत्रों में जलभराव की समस्या गंभीर भी है, जबकि पर्वतीय जिलों में सुरक्षा दीवार न होने से भूस्खलन का बड़ा खतरा भी बना रहता है।
शिक्षा विभाग का जवाब
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने कहा कि
माध्यमिक स्तर पर केवल 19 विद्यालय भवन जर्जर स्थिति में पाए भी गए थे, जिनमें से कुछ को ध्वस्त कर नए भवन बनाए जा चुके हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जर्जर स्कूल भवनों में बच्चों को न बैठाया जाए।
शिक्षा महानिदेशक ने दिए सख्त निर्देश
शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों (सीईओ) को निर्देश दिए हैं कि
छात्र-छात्राओं को जर्जर भवन, कक्ष या दीवार के पास न बैठाया जाए। बरसात के समय स्कूल के पास बहने वाले नालों के कारण दुर्घटनाएं न हों, इसके लिए भी सतर्कता बरतने को भी कहा गया है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि स्कूल परिसरों में पानी भी जमा न होने दिया जाए।
जिलेवार जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति:
| जिला | जर्जर भवनों की संख्या |
|---|---|
| पिथौरागढ़ | 163 |
| अल्मोड़ा | 135 |
| टिहरी | 133 |
| नैनीताल | 125 |
| पौड़ी | 107 |
| देहरादून | 84 |
| ऊधमसिंह नगर | 55 |
| हरिद्वार | 35 |
| रुद्रप्रयाग | 34 |
| चमोली | 18 |
| चंपावत | 16 |
| उत्तरकाशी | 12 |
| बागेश्वर | 06 |
बढ़ती बारिश व जर्जर भवनों की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार व शिक्षा विभाग को शीघ्र और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता भी है, ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो व छात्र-छात्राएं सुरक्षित वातावरण में शिक्षा भी प्राप्त कर सकें।