उत्तराखंड बनने के बाद नैनीताल से 5 कार्यालय चले गए गढ़वाल, क्यों हो रहा है भेदभाव? जानें वजह

नैनीताल जिले से कार्यालयों के शिफ्ट होने का सिलसिला लंबे समय से ही चल रहा है। बीते वर्षों में एक के बाद एक कार्यालय जनपद से देहरादून में भेज दिए गए। इनमें परिवहन आयुक्त से लेकर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय तक भी शामिल हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक कुमाऊं से हैं फिर भी न्यायिक संस्था को यहां से बाहर भेजकर यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है, यह सवाल लोगों के जेहन में भी है।

 

करीब 9 वर्ष पहले यह कार्यालय भी देहरादून शिफ्ट हो गया। हल्द्वानी में रामपुर रोड पर मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि नियंत्रण का कार्यालय भी होता था, जहां से प्रदेश में वनाग्नि नियंत्रण का कार्यक्रम भी संचालित होता था। यह कार्यालय देहरादून शिफ्ट हो गया। इसी भवन में मुख्य वन संरक्षक पर्यावरण का कार्यालय था जिसे बाद में देहरादून में शिफ्ट कर दिया गया। प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत का कार्यालय, हल्द्वानी में है पर इसका भी कैंप कार्यालय देहरादून के मुख्यालय में भी खोला गया है। इसका भवन व बदहाली उपेक्षा को बया कर रहा है। हल्द्वानी में श्रम निदेशालय है, यहां पर उत्तराखंड भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का दफ्तर भी था, जिसे करीब 5 वर्ष पहले देहरादून शिफ्ट कर दिया गया था।

 

वरिष्ठ अधिवक्ता मो. यूसुफ कहते हैं कि हल्द्वानी में रेल, हेली और वाहनों से आवागमन की बेहतर सुविधा है। ऐसे में जिस भावना के साथ का कार्यालयों को खोला गया था, उनको शिफ्ट करना भी ठीक नहीं है।