उत्तराखंड की विद्यालयी शिक्षा को मिलेगा नया आयाम, पीजीआई रैंकिंग सुधारने के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति
शिक्षा में पीजीआई रैंकिंग सुधार को उच्च स्तरीय समिति गठित I बीईओ होंगे यू-डाइस के नोडल, प्रत्येक सप्ताह आंकड़ों की करेंगे समीक्षा I शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने दिया राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश को शीर्ष राज्यों की श्रेणी में लाने का लक्ष्य
विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार व राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक (PGI) रैंकिंग बेहतर करने के लिए उत्तराखंड में राज्य स्तर पर एक 12 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया गया है। यह समिति निर्धारित सूचकांकों पर ठोस कार्ययोजना तैयार करेगी और उसका मूल्यांकन करेगी।
ब्लॉक स्तर पर यू-डाइस मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी अब खंड शिक्षा अधिकारियों को ही दी गई है। वे हर सप्ताह समीक्षा कर सही आंकड़े दर्ज कराएंगे, ताकि राष्ट्रीय रैंकिंग में राज्य का प्रदर्शन बेहतर भी हो।
समिति की अध्यक्षता विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक ही करेंगे। इसमें निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण, निदेशक माध्यमिक एवं प्राथमिक शिक्षा, अपर राज्य परियोजना निदेशक (समग्र शिक्षा), मुख्य शिक्षा अधिकारी ऊधमसिंह नगर सहित 12 वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। इनके सुझावों के आधार पर पूरे प्रदेश में कार्ययोजना भी लागू होगी।
राष्ट्रीय स्तर पर पीजीआई रैंकिंग 6 डोमेन व 72 सूचकांकों पर आधारित होती है, जिसमें कुल 1000 अंकों का प्रावधान है। वर्ष 2023-24 में उत्तराखंड को 526.30 अंक प्राप्त भी हुए। अब शिक्षा विभाग ने 2025-26 तक 615 अंक व 2026-27 तक 650 अंक हासिल करने का लक्ष्य भी तय किया है।
शिक्षा विभाग का मानना है कि सही और विश्वसनीय आंकड़े दर्ज न होने से राज्य को अंक गंवाने भी पड़े। इसी वजह से ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति भी की गई है, जो स्कूलों, शिक्षकों व छात्रों से संबंधित सभी जानकारी सटीक रूप से यू-डाइस पर दर्ज भी कराएंगे।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का बयान
“भारत सरकार हर वर्ष पीजीआई रैंकिंग जारी करती है, जिससे राज्यों की शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन भी होता है। समीक्षा में पाया गया कि विद्यालयी स्तर से भरे गए आंकड़ों में त्रुटियों के कारण राज्य को नुकसान भी हुआ। अब सही आंकड़े दर्ज कराकर 2026-27 तक उत्तराखंड को शीर्ष राज्यों में शामिल करना हमारा लक्ष्य भी है।”