एसडीआरएफ ट्रेनिंग सेंटर की प्रक्रिया अंतिम चरण में, आपदा प्रबंधन को और मजबूत बनाने की तैयारी

जौलीग्रांट में एसडीआरएफ का ट्रेनिंग सेंटर प्रस्तावित, आपदा से निपटने के लिए होगी मजबूत व्यवस्था

राज्य में आपदाओं से निपटने के लिए जौलीग्रांट में एसडीआरएफ का एक ट्रेनिंग सेंटर प्रस्तावित किया गया है, जिसका निर्माण प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। इस सेंटर का उद्देश्य एसडीआरएफ के कर्मियों को आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर उच्चस्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करना भी है, ताकि वे आपातकालीन परिस्थितियों में और अधिक प्रभावी रूप से कार्य कर सकें।

वर्तमान में, एसडीआरएफ के कर्मियों को रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए अन्य राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश में प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है। लंबे समय से राज्य में एसडीआरएफ के कर्मियों के लिए एक स्थायी ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने की आवश्यकता भी महसूस की जा रही थी। इस उद्देश्य को लेकर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सक्रिय रूप से काम भी कर रहा है।

ट्रेनिंग सेंटर में विशेष सुविधाएं:

जौलीग्रांट में प्रस्तावित ट्रेनिंग सेंटर में कई विशेष सुविधाएं दी जाएंगी, जैसे:

  • डीप डाइविंग पूल: पानी में फंसे लोगों को निकालने के लिए गहरे पानी में प्रशिक्षण।
  • सरफेस वाटर पूल: सतह पर पानी में फंसे लोगों को रेस्क्यू करने का प्रशिक्षण।
  • ध्वस्त भवन से बचाव: इमारतों के ढहने के बाद मलबे से लोगों को निकालने का प्रशिक्षण।

प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, यह ट्रेनिंग सेंटर राज्य के आपदा प्रबंधन व पुनर्वास को और मजबूत करेगा। इसका निर्माण विश्व बैंक के सहयोग से ही किया जाएगा।

आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव, विनोद कुमार सुमन ने कहा कि इस ट्रेनिंग सेंटर में कई प्रकार के आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे एसडीआरएफ के कर्मी हर प्रकार की आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह ही तैयार हो सकेंगे।