राजनीतिक बयानबाज़ी से गरमाई उत्तराखंड की सियासत, नेताओं के ‘वायरल’ वीडियो बने चर्चा का विषय

देहरादून। राज्य में चुनावी मौसम नज़दीक आते ही सियासी माहौल भी गर्म हो गया है। सत्तापक्ष व विपक्ष के नेता अब एक-दूसरे पर खुलकर शब्द बाण भी चला रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन दिनों नेताओं के विवादित व तंज भरे बयान खूब वायरल हो रहे हैं। जनता इन पर मनोरंजन के अंदाज़ में प्रतिक्रियाएं भी दे रही है, जबकि राजनीतिक हलकों में इन बयानों के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।

सुबोध उनियाल का बयान: “भ्रष्टाचार का दूसरा नाम हरीश रावत”

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर निशाना भी साधा है। शुक्रवार को देहरादून में आयोजित उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा —

“भ्रष्टाचार का दूसरा नाम हरीश रावत है। हल्द्वानी के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि उनके कार्यकाल में शराब, खनन व स्थानांतरण माफिया फले-फूले।”

उनियाल ने आगे कहा कि हरीश रावत जैसे व्यक्ति को भ्रष्टाचार पर बोलने का अधिकार ही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि रावत के शासनकाल में विधायकों की ख़रीद-फ़रोख्त तक की कोशिशें भी हुईं।
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल भी हो गया है। बता दें कि इससे पहले भी सुबोध उनियाल कई बार हरीश रावत पर इसी तरह के आरोप भी लगा चुके हैं।

बंशीधर भगत का तंज: “चुनाव आते ही बरसाती मेंढक टर्र-टर्र करने लगते हैं”

वहीं, विधायक बंशीधर भगत ने अपने चुटीले अंदाज़ में विपक्षी नेताओं पर निशाना भी साधा है। शहर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा —

“चुनाव आते ही बरसाती मेंढक टर्र-टर्र करने लगते हैं। मैं कीचड़ में पत्थर मारकर अपने कपड़े खराब ही नहीं करना चाहता।”

उन्होंने हंसते हुए कहा कि अगर उन्होंने बोलना शुरू किया तो “बड़ा बम फटेगा व कई लोग गड्ढे में चले जाएंगे।”
उनका यह वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इस बयान को लेकर जमकर कमेंट भी कर रहे हैं।

भगत ने उदाहरण देते हुए कहा कि कालाढूंगी में एक व्यक्ति ने सड़क निर्माण रोकने की कोशिश भी की थी, मगर प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद कार्य शुरू भी कराया गया। “कुछ लोगों को हमारी लोकप्रियता रास नहीं आई, इसलिए अब अनर्गल बयानबाज़ी शुरू कर दी गई है I

“धृतराष्ट्रों को नहीं दिख रहे विकास कार्य”

विधायक भगत ने अपने विकास कार्यों का ब्योरा देते हुए कहा कि उन्होंने विधायक निधि से 35 करोड़ की सड़कें स्वीकृत भी कराई हैं, जबकि अन्य विधायकों को सिर्फ 10 करोड़ ही मिलते हैं।

“ये सारे काम धृतराष्ट्रों को दिखाई नहीं दे रहे हैं,” उन्होंने कटाक्ष किया।

जनता में चर्चा, सोशल मीडिया पर मज़ाक

राज्य की सियासत में इन वायरल बयानों ने नई हलचल भी मचा दी है। सोशल मीडिया पर व्यूअर्स इन बयानों पर मीम व व्यंग्य बनाकर खूब साझा भी कर रहे हैं। एक ओर जनता इन्हें मज़ाक के रूप में ले रही है, वहीं राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि उत्तराखंड की राजनीति अब बयान युद्ध के दौर में प्रवेश भी कर चुकी है।

 “बरसाती मेंढकों की टर्र-टर्र व भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उत्तराखंड की सियासत गर्मा भी गई है।”