राज्य स्थापना दिवस से पहले भड़के आंदोलनकारी, समारोह के बहिष्कार का ऐलान

सरकार की बेरुखी पर चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति ने जताई नाराज़गी, कहा– 48 घंटे में मांगे नहीं मानीं तो होगा राज्यव्यापी विरोध

रामनगर। उत्तराखंड राज्य गठन की रजत जयंती (25वीं वर्षगांठ) से ठीक पहले राज्य आंदोलनकारियों का गुस्सा खुलकर सामने भी आ गया है। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति ने 1 नवंबर से शुरू होने वाले राज्य स्थापना दिवस समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा भी की है। समिति ने आरोप लगाया है कि सरकार आंदोलनकारियों की मांगों के प्रति गंभीर ही नहीं है और सिर्फ औपचारिक कार्यक्रमों में ही व्यस्त है।

शुक्रवार को रामनगर में समिति अध्यक्ष चंद्रशेखर जोशी की अध्यक्षता में हुई बैठक में समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक व उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि सरकार की बेरुखी अब आंदोलनकारियों की सहनशक्ति की सीमा पार भी कर चुकी है।

“राज्य आंदोलनकारियों को दिए जाने वाले आरक्षण, पेंशन व अन्य सुविधाओं पर सरकार ने आंखें मूंद रखी हैं। जिन लोगों के बलिदान से राज्य बना, उन्हें भुला भी दिया गया है,” — धीरेंद्र प्रताप।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल दिखावे के समारोह कर रही है, जबकि आंदोलनकारियों की समस्याओं को अनदेखा भी किया जा रहा है।

“48 घंटे में ठोस रुख अपनाए सरकार, नहीं तो विरोध होगा तेज़”

धीरेंद्र प्रताप ने सरकार को 48 घंटे का नोटिस देते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों की मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया तो पूरे प्रदेश में आंदोलन तेज भी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी सम्मान परिषद के अध्यक्ष सुभाष वर्थवाल को मध्यस्थ बनाकर मुख्यमंत्री से संवाद की कोशिश भी की जाएगी। अगर सरकार ने सकारात्मक रुख नहीं दिखाया, तो बहिष्कार और भी सख्त किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितता, चारधाम यात्रा प्रबंधन की असफलता, कर्मचारियों व छात्रों पर हो रहे दमन जैसे मुद्दों पर आंदोलनकारी अब चुप भी नहीं बैठेंगे।

बैठक में वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी, पुष्कर दुर्गापाल, सुमित्रा बिष्ट, सुरेंद्र सिंह नेगी, इंद्र सिंह मनराल, हरीश भट्ट, नवीन नैथानी, मनोज गोस्वामी, अनिल अग्रवाल, शेर सिंह लटवाल सहित कई कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

 “हमने राज्य बनाया, अब उसके सम्मान के लिए फिर से सड़कों पर भी उतरेंगे।” — धीरेंद्र प्रताप