खरगे और राहुल गांधी की प्रदेश नेताओं को सख्त हिदायत — अनुशासनहीनता पर होगी कड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली/देहरादून: कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उत्तराखंड के नेताओं को कड़ा संदेश देते हुए पार्टी में अनुशासन बनाए रखने की सख्त हिदायत भी दी है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ये साफ कर दिया है कि अनुशासनहीनता या आपसी बयानबाजी को बर्दाश्त ही नहीं किया जाएगा। 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर सभी नेताओं को एकजुट होकर कार्य करने को भी कहा गया है।

नई दिल्ली में हुई अहम बैठक:

गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड में संगठनात्मक ढांचे, आगामी राजनीतिक कार्यक्रमों व क्षेत्रीय असंतुलन जैसे मुद्दों पर मंथन भी किया। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी व प्रदेश के प्रमुख नेता भी शामिल रहे।

राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा कि

कोई भी नेता व्यक्तिगत बयानबाजी से परहेज़ करे व पार्टी मंचों पर ही अपनी बात को रखें। उन्होंने कहा कि जो नेता अनुशासन तोड़ते हैं, उनके खिलाफ पार्टी सख्त कार्रवाई भी करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नेताओं को व्यक्तिगत यात्राओं व अभियानों के बजाय पार्टी द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका भी निभानी चाहिए।

क्षेत्रीय असंतुलन का मुद्दा उठा:

बैठक के दौरान कुछ प्रदेश नेताओं ने संगठन में कुमाऊं व गढ़वाल के बीच संतुलन न होने की बात भी उठाई। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष दोनों कुमाऊं से हैं। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि पूर्व में भी ऐसी स्थिति रही है जब सीएम, प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष तीनों कुमाऊं से ही थे।

कार्यक्रमों का फीडबैक लिया गया:

बैठक में कांग्रेस के हालिया अभियानों जैसे “संविधान बचाओ यात्रा”, “तिरंगा यात्रा” व “एक वोट, मेरा अधिकार” अभियान का फीडबैक भी लिया गया। पार्टी नेतृत्व ने इन अभियानों में स्थानीय नेताओं की भूमिका व जनता से जुड़ाव पर भी चर्चा की।

ये प्रमुख नेता रहे मौजूद:

बैठक में कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा, सीडब्ल्यूसी सदस्य गुरदीप सिंह, सह प्रभारी सुरेंद्र शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व सीएम हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, गणेश गोदियाल, पूर्व मंत्री नवप्रभात, हरक सिंह रावत, गोविंद सिंह कुंजवाल, भुवन कापड़ी, काजी निजामुद्दीन, प्रदीप टम्टा, ममता राकेश, तिलक राज बेहड़ व रवि बहादुर समेत कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहे।