कारगिल युद्ध के शहीद नरपाल सिंह का बेटा रमन सेना में सेवाएं दे रहा है, परिवार की देशसेवा की विरासत और भूमि के पुनः आवंटन का संघर्ष

देश की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में नरपाल ने अपना बलिदान दे दिया। अब उनके बेटे रमन पिता का नाम ऊंचा कर रहे हैं। वह 18 गढ़वाल रेजिमेंट में पुणे में सेवाएं दे रहे हैं। थानो क्षेत्र के रामनगर डांडा गांव निवासी नरपाल सिंह 29 जून 1999 को कारगिल युद्ध में बलिदान हो गए थे।

परिवार के लोगों को चार जुलाई 1999 को इसकी खबर मिली तो परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन इस घोर विपत्ति का सभी ने डटकर मुकाबला किया। परिवार में देश सेवा का जज्बा फिर भी कम नहीं हुआ। बलिदानी की पत्नी ममता बताती हैं कि उस समय वह पांच महीने की गर्भवती थीं।

उन्होंने बेटे को जन्म दिया और जब वह बड़ा हुआ तो पिता की तरह देश सेवा की ठानी। वह 2017 में फौज में भर्ती हो गया। ममता बताती हैं कि उनके लिए इससे ज्यादा गर्व की बात नहीं हो सकती कि अब उनका बेटा देश की सेवा कर रहा है। उनकी एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है।

 

ममता बताती हैं, उस समय सरकार ने पेट्रोल पंप के आवंटन के साथ पांच बीघा भूमि छिद्दरवाला के साहबनगर में दी थी। बताया कि 2013 की आपदा में यह भूमि भू-कटाव की भेंट चढ़ गई। प्रशासन से परिवार ने कई बार मांग की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। बताया कि 10 साल तक चक्कर काटने के बाद अब जिला प्रशासन की ओर से ऋषिकेश तहसील के रिकॉर्ड से उस भूमि का आवंटन निरस्त कर दूसरी जगह जमीन दिलाने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी, लेकिन दो साल बाद भी अब तक यह प्रक्रिया सिर्फ कागजों में ही चल रही है।