उत्तराखंड में ततैया हमलों की बढ़ती घटनाएं, वन विभाग ने विशेषज्ञों से मांगी रिपोर्ट

ततैयों के हमले की लगातार घटनाएं हो रही हैं, अचानक हमले के बढ़ने के कारणों को लेकर भी वन महकमा चिंतित है। वन मुख्यालय ने कारणों को जानने के लिए कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है, इसके अलावा विशेषज्ञों की मदद लेने का भी फैसला किया है।

 

वहीं, गढ़वाल मंडल की बात करें तो 9 नवंबर को उत्तरकाशी जिले के मांडिया गांव में स्कूल से घर लौट रहे भाई -बहन पर ततैयों ने हमला कर दिया। इसमें चार साल के भाई की मौत हो गई, इसमें बड़ी बहन घायल हो गई थी। इस दिन टिहरी जनपद के जौनपुर ब्लाक के अंतर्गत रियाट गांव में पति- पत्नी और एक भाई लोग पशु चराने गए थे, जहां ततैयों ने हमला कर दिया।

 

इसमें 67 व्यक्ति एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि उनका भाई घायल हो गया था। महिला ने झाड़ी में छिपकर जान बचाई थी। तीन नवंबर को भारतीय सीमा से सटे नेपाल के बैतड़ी जिले के नजदीकी बजांग थलारा गांवपालिका डोर गांव में ततैयों के हमले में दो बच्चों की मौत हो गई थी, कई घायल भी हुए थे।

 

वहीं, विवेक पांडे कहते हैं कि ततैयों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही है, इसको लेकर वनाधिकारियों से बीते दो से तीन सालों में ततैयों के हमले की घटना कहां पर हुई, किस समय पर हुई? घटना से कितने प्रभावित हुए? घटना किस कारण से हुई? समेत अन्य डिटेल मांगी गई है। इसके अलावा विशेषज्ञों से भी मदद ली जाएगी।

 

यदि ततैये के छत्ते पर कोई नुकसान पहुंचे या खतरा महसूस होता है। तो ततैया सामने कोई भी हिलती चीज दिखती है, तो उस पर हमला कर देता है। बच्चों में ततैये के हमलों पर ज्यादा असर होता है। क्योंकि वे छोटे होते हैं।

 

ततैये के काटने से शरीर रियेक्ट करता है, इससे हिस्टमीन उत्पन्न होता है, अगर शरीर में हिस्टमीन जरूरत से ज्यादा हो जाता है तो वह जान के लिए ही खतरा बन जाता है। अगर ततैये काटने के बाद उपचार मिल जाए तो व्यक्ति ठीक हो जाता है।