गोविंदघाट में पुलों का इतिहास: फिर टूटा एक महत्वपूर्ण पुल, ग्रामीणों का सामना हो रहा है संकट

गोविंदघाट में कई वर्षों से पुलों के टूटने का सिलसिला जारी है। 2007 में हेमकुंड साहिब जाने वाला झूला पुल टूट गया था। इसके बाद 2008 में यहां एक वाहन पुल भी बनाया गया, जो 2013 की आपदा में ही टूट गया। फिर, 2013 की आपदा के बाद अस्थायी पुलों का निर्माण हुआ, जिनमें घोड़ा पड़ाव पर छोटा पुल व गुरुद्वारे के पास अस्थायी झूला पुल भी शामिल थे।

2015 में यहां 105 मीटर लंबा सस्पेंशन ब्रिज भी बनाया गया, जो बुधवार को अचानक ध्वस्त ही हो गया। यह पुल गोविंदघाट के साथ अन्य क्षेत्रों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण संपर्क बिंदु भी था, और इसके टूटने से क्षेत्रीय यातायात में बड़ा संकट भी उत्पन्न हो गया है।

पुलना गांव में संकट: शादियों व डिलीवरी को लेकर चिंताएं

पुल टूटने से गोविंदघाट से लगे पुलना गांव के ग्रामीणों के सामने गंभीर समस्या भी खड़ी हो गई है। पुलना गांव में वर्तमान में 101 परिवार रहते हैं, और इस पुल के टूटने से उनका बाकी क्षेत्रों से संपर्क ही कट गया है। अब ग्रामीणों के लिए दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करना, साथ ही आगामी शादी विवाह को संपन्न कराना भी उनके लिए बड़ी चुनौती रहेगी।

अप्रैल महीने में पुलना गांव में 2 शादियां होनी हैं और एक गर्भवती महिला की डिलीवरी भी तय है। ऐसे में, ग्रामीणों में समय पर उचित व्यवस्था न होने की चिंता भी है। आशीष चौहान, एक स्थानीय निवासी ने बताया कि पुल टूटने से गांव का संपर्क बाकी क्षेत्रों से टूट ही गया है, और शादियों की प्रक्रिया में अगर कोई समस्या उत्पन्न होती है तो यह बड़ी मुश्किल में भी डाल देगा।

वाहनों के फंसने की समस्या

पुल के टूटने के कारण पुलना गांव के ग्रामीणों के वाहन भी फंस गए हैं। कुछ वाहन गोविंदघाट की दिशा में थे, जबकि कुछ गांव की तरफ ही आ रहे थे। पुल ध्वस्त होने से सभी प्रकार के वाहन यहीं पर फंसे हुए हैं, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है।

मवेशियों के लिए बनी कच्ची पुलिया से आवाजाही

ग्रामीणों ने इस संकट से निपटने के लिए गोविंदघाट के पास नदी पर मवेशियों की आवाजाही के लिए कच्ची पुलिया भी बना रखी है, जिसका उपयोग अब लोग अपनी आवाजाही के लिए कर रहे हैं। हालांकि, यह उपाय पर्याप्त नहीं है और यदि जल्द ही मुख्य पुल का निर्माण नहीं किया गया, तो ग्रामीणों को गंभीर समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।

इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन की ओर से त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता भी है, ताकि ग्रामीणों को आने वाली शादियों व अन्य कार्यों में किसी प्रकार की कठिनाई भी न हो।