पर्वतीय जिलों में पिछड़ा ऋण-जमा अनुपात, चंपावत और ऊधमसिंह नगर सबसे आगे

देहरादून – उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद ऋण-जमा अनुपात (Credit-Deposit Ratio) की तस्वीर संतोषजनक ही नहीं है। राज्य की करीब 625 बैंक शाखाओं में जमा धन के मुकाबले पर्वतीय जिले कर्ज उठाने के मामले में पीछे ही रह गए हैं।

राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, चंपावत व उत्तरकाशी को छोड़कर अन्य पर्वतीय जिलों में जमा धनराशि के मुकाबले 50% से भी कम ऋण उठाया जा रहा है। इसका अर्थ यह है कि इन क्षेत्रों में आजीविका आधारित उद्यम व निवेश की रफ्तार धीमी है।

राज्य का औसत ऋण-जमा अनुपात 51.82%

प्रदेश का औसत ऋण-जमा अनुपात वर्तमान में 51.82% है। यानी बैंकों में जितनी राशि जमा है, उसके मुकाबले केवल आधी से कुछ अधिक राशि कर्ज के रूप में वितरित भी की गई है। यह अनुपात आर्थिक विकास की गति का संकेतक भी माना जाता है।

पर्वतीय जिलों की स्थिति चिंताजनक

बागेश्वर (24%), अल्मोड़ा (27%), पौड़ी (27%), रुद्रप्रयाग (28.35%) व टिहरी गढ़वाल (33%) जैसे जिलों में ऋण-जमा अनुपात बेहद कम है। यह साफ दर्शाता है कि इन जिलों के लोग बैंकों से कर्ज लेने में हिचक रहे हैं या फिर आजीविका के पर्याप्त साधन मौजूद ही नहीं हैं।

चंपावत, उत्तरकाशी और चमोली में दिखा सुधार

हालांकि कुछ जिलों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। चंपावत जिले में ऋण-जमा अनुपात 92% तक पहुंच गया है, जो राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सर्वाधिक भी है। उत्तरकाशी में यह अनुपात 50.10% और चमोली में 44% दर्ज किया गया है।

मैदानी जिले आर्थिक रूप से अधिक सक्रिय

वहीं मैदानी जिलों में यह अनुपात काफी बेहतर है। ऊधमसिंह नगर में तो जमा धन से अधिक – यानी 109% तक – कर्ज वितरित किया गया है। जिले में कृषि, व्यापार व उद्योगों की अधिकता इस उच्च अनुपात का मुख्य कारण है। नैनीताल में यह दर 53.39% है, जबकि राजधानी देहरादून में अपेक्षाकृत कम – 41.52% – ही  दर्ज की गई है।

बैंकों को दिए जा रहे हैं निर्देश, लेकिन सुधार की रफ्तार धीमी

सरकार की ओर से राज्यस्तरीय बैठकों में बार-बार बैंकों को यह निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे पर्वतीय क्षेत्रों में ऋण-जमा अनुपात को सुधारने में सक्रिय भूमिका भी निभाएं। लेकिन परिणाम अब तक अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि पर्वतीय जिलों में ऋण लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए सरकार को स्वरोजगार, लघु उद्योग, कृषि व पर्यटन आधारित योजनाओं को और प्रभावी तरीके से लागू भी करना होगा।