उत्तराखंड बाल अधिकार आयोग ने स्कूल के फैसले पर जताई सख्ती, कक्षा 11 के सभी अनुत्तीर्ण छात्रों को 12वीं में प्रोन्नत करने के निर्देश
देहरादून : उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक निजी विद्यालय द्वारा बड़ी संख्या में कक्षा 11 के छात्रों को अनुत्तीर्ण किए जाने के मामले में कड़ा रुख भी अपनाया है। मंगलवार को इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिया कि सभी अनुत्तीर्ण छात्रों को तत्काल प्रभाव से कक्षा 12 में प्रोन्नत भी किया जाए।
आयोग ने जताई गंभीर चिंता
आयोग ने पूरे प्रकरण को शैक्षणिक और मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय भी बताया है। आयोग के निर्देशानुसार, छात्रों की वास्तविक शैक्षणिक योग्यता व मानसिक स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक योग्यता परीक्षण भी आयोजित किया जाएगा, जो आयोग की निगरानी में होगा। यदि परीक्षण में कोई छात्र अयोग्य पाया जाता है, तो उसके मामले पर विशेष विचार के बाद निर्णय भी लिया जाएगा।
अभिभावकों ने लगाए गंभीर आरोप
छात्रों के अभिभावकों ने आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन ने छात्रों के गिरते शैक्षणिक प्रदर्शन के मूल कारणों पर भी ध्यान नहीं दिया। न ही छात्रों को किसी प्रकार की मानसिक, भावनात्मक या स्वास्थ्य संबंधी सहायता भी दी गई। अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ शिक्षक निजी ट्यूशन भी दे रहे हैं, जिसकी जानकारी प्रबंधन को पहले से थी। इसी संबंध में एक शिक्षक को पूर्व में बर्खास्त भी किया जा चुका है।
अन्य मामलों पर भी हुई सुनवाई
सुनवाई के दौरान आयोग के संज्ञान में एक अन्य मामला भी आया, जिसमें एक शैक्षणिक संस्था ने निशुल्क शिक्षा देने के बावजूद, छात्रवृत्ति बंद करने की बात भी कही है। संस्था का तर्क है कि कुछ अभिभावकों के व्यवहार को देखते हुए यह निर्णय भी लिया गया। आयोग ने मामले की निष्पक्ष जांच कर दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद उचित निर्णय लेने की बात भी कही है।
इसके अलावा, विकासनगर क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची के साथ कथित मारपीट के मामले में भी आयोग ने पुलिस विभाग से रिपोर्ट भी तलब की है।
आयोग का संदेश
डॉ. गीता खन्ना ने स्पष्ट किया कि राज्य में किसी भी बच्चे के शैक्षणिक अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं किया जाएगा। आयोग बच्चों के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को प्रतिबद्ध है।