“खतरे में: उत्तराखंड के पांच झीलों की सुरक्षा की तैयारी”

"उत्तराखंड: विशेषज्ञों के द्वारा पंचर हेतु तैयारी, पांच झीलों पर खतरा"

उत्तराखंड के 5 झीलों पर खतरा मंडरा रहा है। इन झीलों को पंचर करने के लिए अगले माह जुलाई में विशेषज्ञ रवाना होंगे। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।

 

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के अध्ययन के बाद उत्तराखंड में 13 ऐसी झीलें चिह्नित की गई थीं, जिन पर खतरा भी है। इनमें से चमोली व पिथौरागढ़ की 5 झीलें ऐसी हैं, जो कभी भी तबाही मचा सकती हैं। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इनसे सुरक्षा की दिशा में काम भी कर रही है।

 

डॉ. सिन्हा ने बताया कि इन झीलों को वैज्ञानिक तरीके से ही पंचर किया जाएगा, ताकि आपदा का खतरा ही न हो। लिहाजा, जुलाई में विशेषज्ञों का दल इन झीलों को पंचर करने भी पहुंच जाएगा। लगातार पिघल रहे ग्लेशियरों की वजह से इन झीलों का जल स्तर भी बढ़ रहा है।

 

सैटेलाइट व स्थानीय स्तर पर इनकी निगरानी भी की जा रही है। आपदा प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, पांचों झीलों के अध्ययन और न्यूनीकरण के लिए सी-डैक पुणे के नेतृत्व में टीम जाएगी, जिनमें वाडिया इंस्टीट्यूट, जीएसआई लखनऊ, एनआईएच रुड़की और आईआईआरएस देहरादून समेत विभिन्न एजेंसियों के विशेष भी शामिल होंगे।

 

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड यानी जीएलओएफ के अध्ययन में उत्तराखंड में 13 झीलें खतरनाक भी मानी गई हैं, इनमें से 5 झीलें हाई रिस्क की ही हैं। इनमें वसुधारा झील, चमोली के धौलीगंगा बेसिन में मौजूद है, जिसका आकार 0.50 हेक्टेयर व ऊंचाई 4702 मीटर है।

दूसरी अनक्लासीफाइड झील, पिथौरागढ़ के दारमा बेसिन में 0.09 हेक्टेयर में फैली है व इसकी ऊंचाई 4794 मीटर है।

तीसरी मबान झील पिथौरागढ़ के लस्सर यांगती वैली में है, जो 0.11 हेक्टेयर व समुद्र तल से 4351 मीटर की ऊंचाई पर है।

चौथी अनक्लासीफाइड झील, पिथौरागढ़ की कूठी यांगति वाली में 0.04 हेक्टेयर में 4868 मीटर की ऊंचाई पर भी मौजूद है।

5वीं प्यूंग्रू झील पिथौरागढ़ की दरमा बेसिन में 0.02 हेक्टेयर व 4758 मीटर की ऊंचाई पर है।

 

झीलों की निगरानी के लिए मौके पर उपकरण भी स्थापित किए जाएंगे। सैटेलाइट से भी उन्हें लिंक भी किया जाएगा। इसके अलावा न्यूनीकरण के लिए ग्लेशियर झीलों की परिस्थितियों को देखते हुए, वहां पर डिस्चार्ज क्लिप पाइप्स डाले जाएंगे, जिससे झीलें पंचर भी होंगी। तकनीकी टीम अपने अध्ययन में ये भी देखेगी कि इन झीलों की दीवारें कितनी मजबूत और गहरी हैं।