उत्तराखंड को मिली नई कुक्कुट विकास नीति 2025 — पहाड़ों में 40% और मैदानों में 30% सब्सिडी, स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने कुक्कुट विकास नीति 2025 को मंजूरी भी दे दी है। शासन ने इसके साथ ही मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी जारी कर दी है। इस नीति का उद्देश्य राज्य में अंडे व चिकन उत्पादन को बढ़ावा देना व बाहरी राज्यों पर निर्भरता घटाना है।
सब्सिडी और लाभ:
नीति के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में 40% व मैदानी क्षेत्रों में 30% तक की सब्सिडी दी जाएगी।
- व्यावसायिक लेयर फार्म की स्थापना के लिए
- पर्वतीय क्षेत्रों में 15,000 कुक्कुट पर अधिकतम ₹48 लाख
- मैदानी क्षेत्रों में 30,000 कुक्कुट पर अधिकतम ₹54 लाख सब्सिडी दी जाएगी।
- ब्रायलर पेरेंट फार्म के लिए
- पर्वतीय क्षेत्रों में 5,000 कुक्कुट पक्षियों पर ₹56 लाख
- मैदानी क्षेत्रों में 10,000 कुक्कुट पर ₹63 लाख तक की सब्सिडी मिलेगी।
इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में फीड ट्रांसपोर्ट पर ₹10 प्रति क्विंटल की अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
नीति की अवधि और दायरा:
यह नीति 31 दिसंबर 2030 तक या नई नीति लागू होने तक प्रभावी भी रहेगी। सरकार आवश्यकता पड़ने पर इसकी अवधि बढ़ाने या घटाने का अधिकार भी रखती है। नीति पूरे राज्य में लागू होगी व कुक्कुट पालन से जुड़ी आगामी योजनाओं के लिए दिशा-निर्देश भी तय करेगी।
योजना के लिए पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले आवेदकों का चयन “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर ही किया जाएगा। जो आवेदन पहले प्राप्त होंगे और जिनके दस्तावेज पूर्ण होंगे, उन्हें प्राथमिकता भी दी जाएगी।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि इस नीति से राज्य में अंडा व चिकन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। वर्तमान में उत्तराखंड अंडे व मांस के लिए उत्तर प्रदेश और पंजाब पर निर्भर है, लेकिन नई नीति से स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा व ग्रामीणों के लिए नए रोजगार अवसर भी पैदा होंगे।
सरकार ने महिलाओं के लिए शत प्रतिशत अनुदान वाली बकरी पालन योजना भी शुरू की है। इसके तहत अकेली, विधवा, निराश्रित व परित्यक्ता महिलाएं लाभ के लिए पात्र भी होंगी।