उत्तराखंड: 10,560 दंपत्तियों ने IVF से पाया संतान सुख, घरों में गूंजी खुशियों की किलकारियां

देहरादून। उत्तराखंड में निःसंतान दंपत्तियों को संतान सुख का लाभ देने के लिए एआरटी अधिनियम-2021 और सरोगेसी अधिनियम-2021 के तहत सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) सेवाओं का व्यापक संचालन भी किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बुधवार को राज्य स्तरीय एआरटी एंड सरोगेसी बोर्ड की बैठक में इसके क्रियान्वयन और प्रभावी निगरानी पर चर्चा भी की।

बैठक में यह जानकारी दी गई कि प्रदेश में अब तक 56,008 लोगों ने चिकित्सकीय परामर्श लिया, जबकि 10,560 दंपत्तियों ने आईयूआई व आईवीएफ तकनीक के माध्यम से गर्भधारण का लाभ भी प्राप्त किया। मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि अधिनियमों के ठोस क्रियान्वयन से निःसंतान दंपत्तियों को बड़ी राहत भी मिल रही है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए। अपर सचिव स्वास्थ्य अनुराधा पाल ने विभिन्न विभागों जैसे गृह, महिला एवं बाल सशक्तिकरण व न्याय विभाग के साथ समन्वय बनाकर सुझाव भी प्रस्तुत किए। राज्य स्तरीय बोर्ड की नोडल अधिकारी डॉ. सुनीता चुफाल ने प्रदेश में एआरटी व सरोगेसी गतिविधियों का विस्तृत पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण भी दिया।

राज्य में लेवल-1 के 8 और लेवल-2 के 29 एआरटी क्लीनिक पंजीकृत हैं, जबकि 11 एआरटी बैंक क्रियाशील भी हैं। इसके अतिरिक्त 2 सरोगेसी क्लीनिक भी संचालित किए जा रहे हैं। जिलेवार विवरण इस प्रकार है:

  • देहरादून: लेवल-1 के 6, लेवल-2 के 18 एआरटी क्लीनिक, 2 सरोगेसी क्लीनिक और 6 एआरटी बैंक।
  • हरिद्वार: लेवल-1 के 1, लेवल-2 के 4 एआरटी क्लीनिक और 6 एआरटी बैंक।
  • नैनीताल: लेवल-1 का 1, लेवल-2 का 3 एआरटी क्लीनिक और 3 एआरटी बैंक।
  • ऊधमसिंह नगर: लेवल-2 के 4 एआरटी क्लीनिक और 3 एआरटी बैंक।

बैठक में यह भी बताया गया कि अधिनियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रदेश में एआरटी सरोगेसी बोर्ड, राज्य समुचित प्राधिकारी, अपीलीय अधिकारी और जिला स्तर पर मेडिकल बोर्ड का गठन भी किया गया है।