सरकारी अस्पतालों में रेफर प्रणाली होगी पारदर्शी, एसओपी बनेगी, बिना वजह रेफर करने पर अधिकारियों पर होगी कार्रवाई

देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आए मरीजों को बिना ठोस कारण रेफर करना अब महंगा भी पड़ेगा। सरकार ने इस प्रक्रिया में जवाबदेही तय करने का निर्णय भी लिया है। जल्द ही मरीजों को रेफर करने की मानक प्रचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार भी की जाएगी, जिसमें संबंधित सीएमओ व सीएमएस के हस्ताक्षर और स्पष्ट कारण अब अनिवार्य होंगे।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य सचिव ने बुलाई अहम बैठक

सोमवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने सभी सीएमओ व सीएमएस के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत भी की। यह बैठक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर ही आयोजित की गई थी, जिसमें सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी व मरीजों के प्रति जवाबदेह बनाने पर भी जोर दिया गया।

स्वास्थ्य सचिव ने स्पष्ट कहा कि,

“मरीजों की जान से किसी भी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बिना कारण रेफर करने की प्रवृत्ति पर सख्ती से रोक भी लगाई जाएगी।”

रेफर की जिम्मेदारी अब सीएमएस पर

अब प्रत्येक रेफर केस की जिम्मेदारी अस्पताल प्रमुख (सीएमएस) की ही होगी। उन्हें अपने हस्ताक्षर के साथ ठोस कारण भी दर्ज करना होगा कि मरीज को दूसरे अस्पताल क्यों भेजा जा रहा है। बिना स्पष्ट वजह के रेफर करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।

कार्यभार न संभालने वाले पीजी डॉक्टरों को नोटिस

स्वास्थ्य सचिव ने यह भी बताया कि 13 जून को तबादले किए गए कई विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अब तक भी अपने कार्यस्थलों पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। ऐसे डॉक्टरों को जल्द ही कारण बताओ नोटिस भी जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। उन्होंने कहा, “सेवा शर्तों की अवहेलना किसी भी स्थिति में स्वीकार ही नहीं की जाएगी।”

108 एंबुलेंस न मिलने पर स्थानीय स्तर पर हो तत्काल व्यवस्था

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि किसी मरीज को समय पर 108 या विभागीय एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं हो पाती, तो संबंधित अस्पताल द्वारा स्थानीय संसाधनों से वैकल्पिक इंतजाम भी किया जाएगा। इसके लिए सभी अस्पतालों को स्थानीय एंबुलेंस नेटवर्क व संसाधनों की सूची पहले से ही तैयार रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।

शव वाहन की व्यवस्था करना होगी अस्पताल की जिम्मेदारी

स्वास्थ्य सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अस्पताल में मरीज की मृत्यु हो जाती है व परिजनों को शव वाहन उपलब्ध नहीं हो पाता, तो शव को घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन या सीएमओ की ही होगी। शव को सम्मानपूर्वक परिजनों तक पहुंचाना सुनिश्चित भी किया जाएगा ताकि उन्हें अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी न उठाना पड़े।

बैठक में ये अधिकारी रहे मौजूद:

इस अहम बैठक में महानिदेशक सुनीता टम्टा, निदेशक डॉ. शिखा जंगपागी, निदेशक डॉ. सी.पी. त्रिपाठी, अनुसचिव अनूप मिश्रा सहित अन्य स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।