किसान महाकुंभ में राकेश टिकैत का केंद्र सरकार पर हमला – “11 साल में किसान हुए हाशिए पर”

हरिद्वार : भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार के 11 वर्ष के कार्यकाल को किसानों के लिए निराशाजनक बताया है। धर्मनगरी हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय किसान महाकुंभ के पहले दिन चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता व्यापारिक हित की हैं, जबकि किसानों के मुद्दों को नजरअंदाज भी किया जा रहा है।

टिकैत ने कहा कि

“सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने में लगी है, लेकिन किसानों की समस्याओं पर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया।” उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि आंदोलन के दौरान किए गए वादे आज भी अधूरे ही हैं और सरकार की नीतियां धीरे-धीरे किसानों को खत्म करने की दिशा में ही काम कर रही हैं।

गन्ना किसानों के बकाये का मुद्दा उठाया

राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व हरियाणा में शुगर मिलों द्वारा किसानों का करोड़ों का बकाया न चुकाए जाने का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि इकबालपुर शुगर मिल सहित कई मिलों पर किसानों का वर्षों से पैसा अटका ही हुआ है, जिससे किसान आर्थिक संकट में भी हैं।

चिंतन शिविर में उठे कई बड़े मुद्दे

किसान महाकुंभ के तहत चल रहे चिंतन शिविर में बीते (सोमवार) को विभिन्न राज्यों से आए पदाधिकारियों ने किसानों की समस्याओं पर गहन चर्चा भी की।

प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं:

  • एमएसपी की कानूनी गारंटी
  • बिजली के निजीकरण का विरोध
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
  • स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग
  • दूध उत्पादक किसानों की समस्याएं
  • कृषि भूमि का औद्योगिक अधिग्रहण

इन मुद्दों पर आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार की जा रही है, जिसे अंतिम रूप आज मंगलवार को दिया जाएगा और बुधवार को सरकार को प्रस्ताव भी भेजे जाएंगे।

वीआईपी घाट और लालकोठी पर किसानों का डेरा

देशभर से आए किसान वीआईपी घाट व लालकोठी क्षेत्र में टेंट और तंबू गाड़कर डटे हुए हैं। वहां खाना-पीना, बैठकी व चर्चाएं भी जारी हैं। वीआईपी घाट फिलहाल आम लोगों के लिए पूरी तरह खुला है और किसानों की मौजूदगी के चलते अब वहां पहुंचने के लिए किसी विशेष अनुमति की आवश्यकता ही नहीं है।

इस मौके पर यूनियन के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी, जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री, उदय त्यागी, जगवीर, दर्शन सिंह देव और पंकज राणा समेत कई किसान नेता भी मौजूद रहे।